RSS नेता बोले- हम जाति जनगणना के पक्ष में नहीं, समाज में शत्रुता और असमानता बढ़ेगी

रएसएस के एक नेता श्रीधर गाडगे ने जाति जनगणना को गैर-जरूरी बताया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि आखिर इससे क्या हासिल हो जाएगा। जाति जनगणना का आरक्षण से कोई ताल्लुक नहीं है, लेकिन इससे समाज में वैमनस्य बढ़ सकता है।यह सामाजिक रूप से और राष्ट्रीय एकता के संदर्भ में सही नहीं होगा। महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के सह-संघचालक गाडगे ने कहा कि इस तरह की कवायद से कुछ लोगों को राजनीतिक रूप से फायदा हो सकता है क्योंकि इससे यह डेटा मिलेगा कि किसी निश्चित जाति की आबादी कितनी है। लेकिन यह सामाजिक रूप से और राष्ट्रीय एकता के संदर्भ में अच्छा नहीं है।उनका यह बयान नई बहस छेड़ सकता है क्योंकि कांग्रेस समेत आरजेडी, सपा, जेडीयू जैसे दल जाति जनगणना के पक्ष में हैं। बिहार में तो जाति जनगणना हो भी चुकी है और अब देश के अन्य राज्यों में भी ऐसी चर्चाएं हैं। यहां तक कि कई दल तो केंद्र सरकार से देशभर में जाति जनगणना कराने की मांग कर रहे हैं। भाजपा भी इस पर संभलकर चल रही है। ऐसे में आरएसएस नेता का यह बयान भाजपा को भी घेरने के लिए विपक्ष को एक मौका दे सकता है। राज्य सरकार में शामिल भाजपा और शिंदे गुट वाली शिवसेना के विधायक नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय पहुंचे थे।इसी दौरान आरएसएस के पदाधिकारियों से उनकी बात हुई। इसी बीच हिंदुत्ववादी संगठन के नेता ने जाति जनगणना को विरोध किया। आरएसएस के प्रचारक गाडगे ने कहा कि हम इसमें कोई फायदा नहीं देखते हैं बल्कि नुकसान ही हैं। इससे असमानता पैदा होगी और इसे बढ़ावा नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि यदि इसके फायदे समझाए जाएं तो आरएसएस सरकार से बात करने के लिए भी तैयार है। हालांकि जब महाराष्ट्र के विधायक आरएसएस मुख्यालय पहुंचे थे, तब संघ प्रमुख मोहन भागवत और सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले नागपुर में नहीं थे। यही नहीं एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस भी विधायक दल में शामिल नहीं थे, जो आरएसएस मुख्यालय पहुंचा था।आरएसएस मुख्यालय जाने वाले विधायकों में एनसीपी के नेता शामिल नहीं थे, जो अजित पवार के नेतृत्व में सरकार का हिस्सा बने हैं। आरएसएस नेता का यह बयान तब आया है, जब पिछले महीने ही होम मिनिस्टर अमित शाह ने कहा था कि भाजपा ने कभी जाति जनगणना का विरोध नहीं किया। बिहार में दिए उनके बयान को भाजपा के स्टैंड के तौर पर देखा गया था। अब आरएसएस लीडर का बयान भाजपा के लिए भी चिंता का सबब बन सकता है क्योंकि विपक्ष इसे एक मुद्दा बनाने की कोशिश भी करेगा।

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