अयोध्या के राममंदिर का उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी। इससे पहले 16 जनवरी मंगलवार से ही प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान शुरू हो जाएगा। 18 जनवरी को रामलला की प्रतिमा गर्भगृह में अपने आसन पर पहुंच जाएगी।राममंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को राममंदिर समारोह के पूरे कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने रामलला की प्रतिमा के बारे में बताया कि मूर्ति का वजन 150 से 200 किलो है। रामलला की खड़ी प्रतिमा स्थापित होगी। यह पांच साल के बालक की तरह दिखाई देती है। मैसूर के रहने वाले अरुण योगिराज की श्यामल मूर्ति का चयन किया गया है।
चंपत राय ने बताया कि कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज की बनाई गई प्रतिमा गर्भगृह में स्थापित होगी।कहा कि अरुण योगीराज ने नीले रंगे की रामलला की मूर्ति बनाई है। इसमें रामलला को खड़े हुए धनुष-बाण लिए हुए दिखाया गया है। प्रतिमा ऐसी है जो राजा के पुत्र की तरह और विष्णु का अवतार लगे। गर्भगृह में रामलला कमल के फूल पर विराजमान होंगे। कमल के फूल के साथ उनकी लंबाई करीब 8 फीट होगी। अभी फाइनल प्रतिमा की फोटो जारी नहीं की गई है।
कल से होगा प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान
बताया कि प्राण प्रतिष्ठा की पूजन विधि कल 16 जनवरी से शुरू हो जाएगी, जो 21 तक चलेगी। प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामलला की प्रतिमा को जल वास, अन्न वास, शैया वास, औषधि वास, फल वास पूजा होगी। 22 जनवरी को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा दोपहर 12 बजकर 20 बजे होगी। ये मुहूर्त प्रकांड विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने तय किया है। कर्मकांड वाराणसी के महंत लक्ष्मी कांत दीक्षित करेंगे। शाम में सूर्यास्त 5 बजकर 45 मिनट पर होगा। उसके बाद अयोध्या में प्रभु की प्रसन्नता के लिए अयोध्या में दीप जलाए जाएंगे। पीएम का कहना है ऐसा ही पूरे देश के लोग करें।
पीएम समेत तीन लोगों का भाषण
कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास अपने विचार रखेंगे। इस दौरान गर्भगृह में पीएम मोदी, यूपी की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्यगोपाल दास, सभी ट्रस्टी लगभग 150 परम्पराओं के संत, धर्माचार्य मौजूद रहेंगे।
कहा, भारत में हर तरह की रक्षा पुलिस से लेकर पैरा मिलिट्री फोर्स के अधिकारी, साहित्यकार, पद्म पुरस्कार विजेता शामिल होंगे। मंदिर निर्माण करने वाली L&T, टाटा के इंजीनियर्स और मंदिर बनाने में लगे 100 लोग रहेंगे। इसके अलावा शैव, वैष्णव, सिख, बौद्ध, जैन, कबीर पंथी, इस्कॉन, राम कृष्ण मिशन, गायत्री परिवार, राधा स्वामी, गुजरात के स्वामी नारायण, लिंगायत के धर्मात्मा रहेंगे।
20 और 21 जनवरी को दर्शन बंद रहेगा
उन्होंने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों को पूरा करने के लिए 20 और 21 जनवरी को राम लला के दर्शन बंद रहेंगे। प्राण प्रतिष्ठा के दिन परिसर में 8000 कुर्सियां लगाई जाएंगी। भारत की सभी मुख्य नदियों का जल अयोध्या आ चुका है। सभी जलों से रामलला का अभिषेक होगा। इसके अलावा नेपाल में राम जी की ससुराल, उनके ननिहाल छत्तीसगढ़ से उपहार आए हैं। जोधपुर से बैलगाड़ी पर घी आया हैं।
राममंदिर की नई तस्वीरें भी जारी की। उन्होंने बताया कि 22 जनवरी को दोपहर 12.20 पर प्राण प्रतिष्ठा होगी। माना जा रहा है कि एक बजे तक प्राम प्रतिष्ठा का अनुष्ठान चलेगा। राम मंदिर को अब संजाया-संवारा जा रहा है। इनमें राम मंदिर की भव्यता और सुंदरता दिखाई दे रही है।
उन्होंने बताया कि 16 जनवरी को प्रायश्चित एवं कर्म कुटी पूजन, 17 जनवरी को मूर्ति का परिसर प्रवेश, 18 जनवरी सायंकाल तीर्थ पूजन एवं जल यात्रा, जलाधिवास एवं गंधाधिवास, 19 जनवरी प्रात: औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास सायंकाल धान्याधिवास 20 जनवरी प्रात: शर्कराधिवास, फलाधिवास, एवं सायंकाल पुष्पाधिवास 21 जनवरी प्रात: मध्याधिवास, सायंकाल शय्याधिवास, इस प्रकार द्वादश अधिवास होंगे, सामान्यतया प्राण-प्रतष्ठिा में सप्त अधिवास होते हैं।
50 देशों के प्रतिनिधि आएंगे, हर वाद्य यंत्र का होगा वादन
चंपत राय ने बताया कि अयोध्या में 22 जनवरी को समारोह में हमने दुनिया के 50 देशों से एक-एक व्यक्ति को श्रीरामलला के दर्शन के लिए आमंत्रित किया है। एक देश एक प्रतिनिधि के आधार पर ऐसे 50 देशों के 53 लोग आ रहे हैं। प्रयास रहेगा कि जो व्यक्ति जिस दिन आ गया उसी दिन वो वापस जा सके। रात को रहने का दबाव उस पर न पड़े। समारोह के दौरान देश भर के विभिन्न प्रदेशों के प्रसिद्ध वाद्ययंत्रों का भी वादन होगा। इन स्वर लहरियों के बीच श्रीरामलला अपने सिंहासन पर विराजमान होंगे। उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा के वादन में जितने प्रकार के वाद्ययंत्र हैं, सभी का मंदिर प्रांगण में वादन होगा।
इनमें उत्तर प्रदेश का पखावज, बांसुरी, ढोलक, कर्नाटक का वीणा, महाराष्ट्र का सुंदरी, पंजाब का अलगोजा, ओडिशा का मर्दल, मध्यप्रदेश का संतूर, मणिपुर का पुंग, असम का नगाड़ा और काली, छत्तीसगढ़ का तंबूरा, बिहार का पखावज, दल्लिी की शहनाई, राजस्थान का रावणहत्था, बंगाल का श्रीखोल, सरोद, आंध्र का घटम, झारखंड का सितार, गुजरात का संतार, तमिलनाडु का नागस्वरम,तविल, मृदंग और उत्तराखंड का हुड़का, ऐसे वाद्ययंत्रों का वादन करने वाले अच्छे से अच्छे वादकों का चयन किया गया है। ये वादन ऐसे समय में चलेगा जब प्राण प्रतष्ठिा का मंत्रोच्चार और देश के नेतृत्व का उद्बोधन नहीं हो रहा होगा। बड़े महत्व की बात है कि ऐसे श्रेष्ठ लोग यहां स्वयं प्रेरणा से आ रहे हैं।