न्याय की लाज रख ली, राम मंदिर के फैसले पर कोर्ट के लिए बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भारत की न्यापालिका का भी आभार जताया। पीएम मोदी ने कहा कि इसने न्याय की लाज रख ली। बता दें कि साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद 500 साल से चले आ रहे राम मंदिर के संघर्ष को मुकाम मिला था।गौरतलब है कि 22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की गई। गर्भगृह में पीएम मोदी ने पंडितों के मंत्रोच्चारण के बीच इससे जुड़े अनुष्ठान में हिस्सा लिया।

दशकों तक कानूनी लड़ाई
पीएम मोदी ने कहा कि लंबी प्रतीक्षा, धैर्य और सदियों के बलिदान के बाद हमारे राम आज आए हैं। मोदी ने कहा कि भगवान राम देश के संविधान की पहली प्रति में निवास करते थे। उन्होंने कहा कि संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी भगवान राम के अस्तित्व को लेकर दशकों तक कानूनी लड़ाई लड़ी गई। मैं न्यायपालिका को धन्यवाद देना चाहूंगा जिसने न्याय दिया और भगवान राम का मंदिर कानूनी तरीके से बनाया गया। उन्होंने कहा कि ये मंदिर मात्र एक देव मंदिर नहीं है बल्कि राममंदिर भारत की दृष्टि का, भारत के दर्शन का, भारत के दिग्दर्शन का मंदिर है।

सैकड़ों वर्षों के वियोग के बाद
पीएम मोदी ने कहा कि प्रभु का आगमन देखकर ही सब अयोध्यावासी, समग्र देशवासी हर्ष से भर गए। लंबे वियोग से जो विपत्ति आई थी, उसका अंत हो गया। उस कालखंड में वो वियोग तो केवल 14 वर्षों का था, तब भी इतना असह्य था। इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है। हमारी कई-कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है। पीएम मोदी ने कहा कि यह राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है। आज अयोध्या में केवल श्रीराम के विग्रह रूप की प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई है। ये श्रीराम के रूप में साक्षात भारतीय संस्कृति के प्रति अटूट विश्वास की भी प्राण प्रतिष्ठा है। ये साक्षात मानवीय मूल्यों और सर्वोच्च आदर्शों की भी प्राण प्रतिष्ठा है।

क्या हुआ था सुप्रीम कोर्ट में
बरसों तक विभिन्न कानूनी लड़ाइयों के बाद श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद की अंतिम सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में साल 2019 में शुरू हुई। यह सुनवाई 6 अगस्त से शुरू हुई और 40 दिन तक चली थी। इसी साल 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। शीर्ष अदालत की इस बेंच में तत्कालीन सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े थे। इसके बाद नौ नवंबर 2019 को ऐतिहासिक फैसला आया, जब सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से विवादित 2.77 एकड़ जमीन रामलला विराजमान को दिए जाने का आदेश दिया गया। वहीं, मुस्लिम पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन अयोध्या में किसी स्थान पर देने का आदेश दिया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *