अयोध्या के राम मंदिर में विराजमान रामलला अब दोपहर में एक घंटे दर्शन नहीं देंगे। इस दौरान रामलला अब विश्राम करेंगे। राम मंदिर में आने वाली भारी भीड़ के कारण भोर से देर रात तक रामलला अभी दर्शन दे रहे हैं।दोपहर में ज्यादातर प्रमुख मंदिर बंद रहते हैं लेकिन रामलला का मंदिर खुला ही रहता है। इसे लेकर अयोध्या के संत समाज ने नाराजगी भी जताई थी। अब तय किया गया है कि रामलला के दर्शन अवधि में 16 फरवरी यानी अचला सप्तमी के पर्व से दोपहर एक घंटे की कटौती हो जाएगी।रामलला दोपहर साढ़े 12 बजे से डेढ़ बजे के बीच विश्राम करेंगे और मंदिर का पट बंद रहेगा। लगातार 15 घंटे की दर्शन अवधि के कारण रामलला को विश्राम का समय नहीं मिल रहा था। इस पर अयोध्या के संत समाज ने आपत्ति जताई थी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के पदाधिकारी भी मान रहे थे कि बाल स्वरूप रामलला को भोर में चार बजे जागरण कराने के बाद विश्राम न कराना अव्यावहारिक है। इसके कारण निर्णय लिया गया कि 16 फरवरी से दर्शन की अवधि में एक घंटे की कटौती की जाएगी। इस बीच रामलला के शयन के समय के लिए भी अलग परिधान व टोपियां भी मंगवाई गई है।
वसंत पंचमी पर पीताम्बरी में दिखे रामलला
अयोध्या। वसंत पंचमी के पर्व पर बुधवार को राम मंदिर में पहली बार वसंतोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस मौके पर रामलला को जहां पीताम्बरी धारण कराकर उन्हें चार अलग-अलग रंगों पीला-लाल व हरा-गुलाबी अबीर-गुलाल चढ़ाने के अलावा उनके गालों पर भी मला गया। इस दौरान पुजारियों व व्यवस्थापकों ने भी अबीर-गुलाल के साथ होली खेली। इस उत्सव के दौरान रामलला को विशेष पकवानों का प्रसाद भोग भी लगाया गया। इसके साथ पुजारियों ने फगुआ गान भी कर आराध्य के चरणों में प्रणति निवेदित की।
इसके पहले भगवान के श्रृंगार के समय प्राण-प्रतिष्ठा में धारण कराए गये अधिकांश भारी आभूषणों को भी बदल दिया गया। भगवान रामलला के आभूषणों में स्वर्ण मुकुट व कौस्तुभ मणि माला के अतिरिक्त गला बंद को बदल कर नया व थोड़ा हल्का आभूषण धारण कराया गया। इसके अतिरिक्त शेष सभी आभूषणों का दूसरा सेट भी धारण कराया। इसी तरह विराजमान रामलला समेत चारों कुमारों (भरत, शत्रुघ्न व लक्ष्मण जी) को भी नवीन पीताम्बरी के साथ नवीन मुकुट धारण कराया गया।
इसके साथ भारी पुष्प माला के बजाय इलायची की माला के साथ रंगीन वेलवेट कपड़े की नवीन माला धारण कराई गई। रामलला के सहायक अर्चक पं अशोक कुमार उपाध्याय ने बताया कि वसंत पंचमी से ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत माना गया है इसलिए भगवान को भी भारी आभूषणों के बजाय थोड़ा हल्के आभूषण धारण कराए गये है।