जब भी विस्तार होगा मंत्री जरूर बनूंगा…ओपी राजभर ने फिर साबित किया दबदबा

यूपी की योगी सरकार में एक बार फिर सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर मंत्री बन गए हैं। आज मंत्री बनने वालों में ओपी राजभर इकलौते विधायक हैं जिनका पिछले साल एनडीए में शामिल होने के बाद से ही मंत्री बनना तय माना जा रहा था।राजभर खुलेआम अपने मंत्री बनने के दावे करते रहे। यहां तक कहते रहे कि जब भी मंत्रिमंडल का विस्तार होगा सबसे पहले उन्हें की शपथ दिलाई जाएगी। आज न सिर्फ उनकी बातें अक्षरशः सही साबित हुईं बल्कि उनका दबदबा भी दिखाई दिया है। राजभवन के अंदर राजभर शपथ ले रहे थे और बाहर यूपी के अलग अलग जिलों से पहुंचे समर्थक जश्न मनाने के साथ तरह तरह के दावे करते रहे। समर्थकों ने भी साफ कहा कि हमारा नेता ताल ठोंककर बातें कहता है और जो कहता है उसे करके दिखाता है। आज मंत्री पद भी लड़कर लिया है।वहीं, मंत्री बनने के बाद ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि उनका एक ही लक्ष्य गरीबों, वंचितों और पिछड़ों की सेवा करना है। राजभर ने कहा कि हमारा एक ही लक्ष्य गरीबों, वंचितों और पिछड़ों की सेवा करना है। उन्होंने दावा किया कि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीट जीतेगा। राजभर ने कहा कि सात वर्ष में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य में एक भी दंगा नहीं हुआ।बसपा से अलग होकर 2002 में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) की स्थापना करने वाले राजभर वाराणसी के मूल निवासी हैं। वह गाजीपुर जिले की जहूराबाद विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्होंने अपनी पार्टी का मुख्यालय बलिया जिले के रसड़ा में बनाया है। वह जिस राजभर बिरादरी से आते हैं, उसकी पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में अच्छी संख्या है।सुभासपा का दावा है कि बहराइच से बलिया तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस समुदाय की आबादी 12 फीसद है। उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यों वाली विधानसभा में राजभर की पार्टी के छह विधायक हैं। राजभर की पार्टी ने 2017 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था और तब उनके चार विधायक जीते थे। राजभर को योगी की पहली सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले उनकी पार्टी गठबंधन से अलग हो गई थी।

राजभर ने उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली पहली सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि 1983 में उन्होंने बलदेव डिग्री कॉलेज (बड़ागांव- वाराणसी) से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर राजनीति शास्त्र से स्नातोकोत्तर किया। राजभर ने 1981 में बसपा संस्थापक कांशीराम से प्रभावित होकर राजनीति शुरू की थी लेकिन 2001 में बसपा प्रमुख मायावती से नाराज होकर उन्होंने बसपा छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) नाम से अपनी पार्टी बना ली।सुभासपा 2004 से चुनाव लड़ रही है। राजभर ने 2022 के चुनाव में समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाया। इस चुनाव में वह खुद जहूराबाद सीट से मैदान में थे। उन्होंने भाजपा के कालीचरण राजभर को हराकर जीत हासिल की। चुनाव में सपा गठबंधन को अपेक्षित सफलता नहीं मिलने के बाद अखिलेश यादव से उनके रिश्ते खराब हो गए। अंतत: ओमप्रकाश राजभर सपा गठबंधन से बाहर आ गए।

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