पंजाब और दिल्ली से लगे कुछ अन्य राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण का स्तर घटाने के लिए समाधान ढूंढना होगा।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से जुड़े एक विषय की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रदूषण के मुद्दे पर कई रिपोर्ट और समितियां हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हो रहा है। पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय नतीजे देखना चाहता है।
न्यायालय को यह बताया गया कि खेतों में पराली जलाए जाने को रोकने के लिए हर कोशिश की जा रही है। शीर्ष न्यायालय ने वायु प्रदूषण पर 1985 में पर्यावरणविद एम सी मेहता द्वारा दायर एक याचिका पर विचार करते हुए और विषय की सुनवाई के दौरान उठाये गए पराली जलाने के मुद्दे पर यह टिप्पणी की।
खेतों में पराली जलाने का सिलसिला रुके: सुप्रीम कोर्ट
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को पारित अपने आदेश की प्रगति की निगरानी करते हुए कैबिनेट सचिव को दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता करने और दिल्ली में प्रदूषण के उच्च स्तर को कम करने के कदमों पर विचार करने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा, “हम चाहते हैं कि खेतों में पराली जलाने का सिलसिला रुके। आप इसे किसी भी तरह से करें, यह आप पर निर्भर है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि इस या उस नीति का पालन करें, बल्कि हम यह कह रहे हैं कि एक समाधान खोजा जाना चाहिए।”
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कोर्ट को बताया कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में पाया गया कि 93 फीसदी खेतों में आग लगने की घटनाएं पंजाब में हुईं। उन्होंने कहा कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने बैठक में बताया कि 2023 के लिए पंजाब के 18 जिलों में खेत की आग को 50% तक कम करने और हरियाणा से इसे खत्म करने का लक्ष्य हासिल नहीं किया गया। इसके बजाय पराली जलाने में तेज वृद्धि हुई है। पंजाब में पिछले 10 दिनों (29 अक्टूबर से 8 नवंबर) में देखा गया कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर बढ़ गया।
सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती
पीठ ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि अगर समिति (सीएक्यूएम) को पता था कि खेतों में आग बढ़ रही है, जिससे एक्यूआई खराब हुई तो कोई कदम क्यों नहीं उठाए गए। पीठ ने सख्ती से कहा, “हर बार हमारे हस्तक्षेप के बाद आप गति पकड़ते हैं।” मंगलवार के अपने पहले के आदेश का हवाला देते हुए न्यायालय ने कहा, “खेतों में आग को रोकने के लिए ‘गाजर और छड़ी’ नीति आवश्यक है। दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि एफआईआर दर्ज करना पर्याप्त नहीं है। जो कोई भी खेत में आग लगाता है, उसे परिणाम भुगतना होगा। आप उसकी संपत्ति एक साल के लिए कुर्क कर सकते हैं।”