कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने बुधवार को कहा कि इजरायल को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान अधूरा है। इजरायल-हमास के बीच चल रहे संघर्ष पर बोलते हुए थरूर ने कहा कि वह यहूदी देश के प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एकजुटता को समझते हैं, लेकिन उन्होंने उनके बयान को ‘अधूरा’ बताया।समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, थरूर ने कहा, “हम समझते हैं कि प्रधानमंत्री इस भयावह दुःख की घड़ी में इजरायल के साथ एकजुटता दिखाते हुए खड़े हुए हैं। साथ ही हमें लगा कि उनका बयान अधूरा है। क्योंकि मुझे लगा कि, हमें यह याद रखने की जरूरत है कि यहां एक बड़ा मुद्दा दांव पर है और इस सबके पीछे एक कारण है, जो यह है कि कई स्थानों पर अमानवीय कब्जा जारी है।” थरूर ने कहा, “गाजा के लोग लंबे समय से पट्टी में कैद हैं। वेस्ट बैंक के लोग एक दीवार से घिरे हैं जो उनकी आवाजाही की सामान्य स्वतंत्रता और जीवन में हस्तक्षेप कर रही है।”बता दें कि शनिवार को, हमास ने 1973 के योम किप्पुर युद्ध के बाद इजरायल पर सबसे बड़ा हमला किया। इसमें आतंकियों ने नावों, मोटरग्लाइडर और ट्रकों का इस्तेमाल किया गया। हमास के आतंकवादियों ने न केवल इजरायली नागरिकों की हत्या की बल्कि कई को बंदी भी बनाया है। इजरायली रक्षा बलों ने गाजा पट्टी पर जवाबी हमला किया है। यह शहर करीब 20 लाख फिलिस्तीनियों का घर है। इजरायली बचाव सेवा जका ने कहा कि उसके पैरामेडिक्स ने गाजा पट्टी के पास हो रहे म्यूजिक फेस्टिवल से लगभग 260 शव निकाले, जिसमें हजारों लोग शनिवार को फिलिस्तीन स्थित हमास आतंकवादियों के हमले का शिकार हुए थे।थरूर ने कहा कि यह पूरी स्थिति इजरायल में राष्ट्रीय अवकाश के दौरान हमास के अचानक हुए हमले से भड़की। हिंसा की निंदा करते हुए, कांग्रेस सांसद ने कहा, “यह सबसे क्रूर तरीके से किया गया (हमला) था। यह एक आतंकी ऑपरेशन था। उन्होंने एक म्यूजिक फेस्टिवल में भाग लेने वाले निर्दोष नागरिकों, बच्चों, बुजुर्गों और युवाओं को मार डाला। हमास ने जो किया उसके लिए किसी भी औचित्य को स्वीकार करना वास्तव में असंभव था। मैं निश्चित रूप से आतंकवादी कृत्य की निंदा करता हूं।”फिलिस्तीनियों द्वारा सहन की गई घटनाओं को याद करते हुए, थरूर ने यह भी कहा कि फिलिस्तीन के लोगों के लिए यह एक कठिन स्थिति रही है क्योंकि बस्तियों की इमारतें और कई कब्जे वाले क्षेत्रों में यहूदी निवासियों के लिए नए घरों का निर्माण कई वर्षों से “निरंतर” जारी है। थरूर ने फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (पीएलओ) के बारे में भी बात करते हुए कहा कि उन्होंने बंदूक का रास्ता छोड़ दिया और शांति और बातचीत का रास्ता चुना और दुनिया दो-राज्य समाधान की ओर बढ़ रही है।
थरूर ने वर्तमान स्थिति का संदर्भ देते हुए कहा, “पिछले ढाई दशकों से इस पर कोई प्रगति नहीं हुई है और प्रधानमंत्री नेतन्याहू के तहत इजरायल में एक बहुत ही सख्त सरकार है।” थरूर ने कहा कि उनके विचार पारंपरिक रूप से कांग्रेस पार्टी और भारत के विचारों से उपजे हैं। उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि इजरायली और फिलिस्तीनी दोनों सुरक्षित सीमाओं और परिस्थितियों के पीछे शांति और सम्मान से रहें, जहां किसी को भी किसी भी समय अपने जीवन के लिए डर न हो। आज, इजरायली अपने जीवन के लिए डर रहे हैं और फिलिस्तीनी अपने जीवन के लिए डर रहे हैं। दोनों तरफ से मरने वालों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। और मेरे विचार से यह ऐसी चीज नहीं है जिसका भारत किसी भी आकार या रूप में स्वागत करता है। हम चाहते हैं कि यह मामला रुके और शांति बहाल हो।”
कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने सोमवार को फिलिस्तीनी लोगों के भूमि, स्वशासन और सम्मान के साथ जीने के अधिकारों का समर्थन करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। प्रस्ताव में तत्काल युद्धविराम और बातचीत का भी आह्वान किया गया। प्रस्ताव में कहा गया, “सीडब्ल्यूसी मध्य पूर्व में छिड़े युद्ध पर निराशा और पीड़ा व्यक्त करती है, जहां पिछले दो दिनों में एक हजार से अधिक लोग मारे गए हैं। सीडब्ल्यूसी फिलिस्तीनी लोगों के भूमि, स्व-शासन और गरिमा और सम्मान के साथ जीने के अधिकारों के लिए अपने दीर्घकालिक समर्थन को दोहराती है। सीडब्ल्यूसी तत्काल युद्धविराम का आह्वान करती है और वर्तमान संघर्ष को जन्म देने वाले अनिवार्य मुद्दों सहित सभी लंबित मुद्दों पर बातचीत शुरू करने का आह्वान करती है।”