पंजाब में जन्म और पढ़ाई, US का सनकी वकील; खालिस्तानियों का सबसे बड़ा चेहरा कैसे बना पन्नू

खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या को लेकर कथित साजिश का मामला गरमाया हुआ है। द फाइनेंशियल टाइम्स अखबार ने सूत्रों के हवाले से पिछले सप्ताह पहली बार यह खबर प्रकाशित की थी कि अमेरिकी अधिकारियों ने पन्नू की हत्या की साजिश को नाकाम कर दिया था।इस साजिश में भारत सरकार के शामिल होने की आशंकाओं को लेकर चेतावनी भी दी थी। द वाशिंगटन पोस्ट की खबर में कहा कि बाइडन प्रशासन साजिश का पता चलने के बाद इतना चिंतित था कि उसने CIA के निदेशक विलियम जे बर्न्स और राष्ट्रीय खुफिया निदेशक एवरिल हेन्स को अगस्त और अक्टूबर में जांच की मांग के लिए भारत भेजा था।सिख्स फॉर जस्टिस संगठन का नेता पन्नू आतंकवाद के अनेक आरोपों में भारतीय जांच एजेंसियों के लिए वांटेड है। खालिस्तान की मांग को लेकर पन्नू हाल के सालों में जोरशोर से आवाज उठाता रहा है। उसने पश्चिमी देशों में खालिस्तान को लेकर जनमत संग्रह कराए हैं। साथ ही खालिस्तान की मांग को लेकर दीवारों पर लिखने और खालिस्तानी झंडे फहराने के लिए भारतीय सिखों को पुरस्कार देने की भी घोषणा की है। भारत में पन्नू के खिलाफ आतंक और देशद्रोह को लेकर करीब दो दर्जन (24) मामले दर्ज हैं। गुरपतवंत सिंह पन्नू खालिस्तानी मूवमेंट के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर सामने आया है। उसने भारत और हिंदुओं को खुलेआम धमकी दी है। साथ ही एयर इंडिया की फ्लाइट्स में बम धमाके करने की चेतावनी भी दे चुका है।

सिख दंगे को लेकर US में फाइल किया केस
सवाल है कि कैसे एक अमेरिकी नागरिक खालिस्तानी आंदोलन का इतना बड़ा चेहरा बन गया। पन्नू ने एक सनकी कार्यकर्ता के तौर पर अपनी शुरुआत की। वह यूएस जाने वाले भारतीय नेताओं के खिलाफ अमेरिकी अदालतों में केस फाइल कराने लगा। इसमें उसने 1984 के सिख दंगों में उनकी कथित भूमिका को लेकर आरोप लगाए। मालूम हो कि अमृतसर में स्थित खानकोट पन्नू का पैतृक गांव है। सरजान सिंह भी यहीं के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारे गांव बच्चे हमें गर्व से सम्मानित करते रहे हैं मगर गुरपतवंत ने इस सम्मान को ठेस पहुंचाई है। उसने इसे आतंकियों के गांव के रूप में पहचान दिला दी जो कि बहुत शर्मिंदगी की बात है।’

पंजाब यूनिवर्सिटी से पढ़ाई, SFJ का गठन
पन्नू के पिता मंडी बोर्ड में काम करते थे। रिटायरमेंट के बाद वह लुधियाना चले गए। पन्नू ने चंडीगढ़ में स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। इसके बाद 90 के दशक के आखिर में वह अमेरिका चला गया। वकील बनने की ट्रेनिंग लेने से पहले उसने वॉल स्ट्रीट पर मेरिल लिंच के लिए काम किया। सिख फॉर जस्टिस के गठन के बाद वह लोगों की नजर में आया। भारत ने 2009 में एसएफजे समेत कई दूसरे संगठनों पर बैन लगा दिया। पन्नू SFJ का कानून सलाहकार और प्रवक्ता है। फिलहाल इस आतंकी संगठन का वही सबसे बड़ा चेहरा भी है।

खालिस्तानी जनमत संग्रह से सुर्खियों में आया
पन्नू को पहले खालिस्तानी गुट के सनकी कानूनी सलाहकार के रूप में देखा जाता था। उसने कई पश्चिमी देशों में SFJ की ओर से खालिस्तान की मांग को लेकर जनमत संग्रह कराए। इससे उसे वैश्विक खालिस्तानी लीडर के रूप में पहचान मिली। माना जाता है कि खालिस्तान को लेकर रेफरेंडम कराना पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के दिमाग की उपज है। इस अभियान को रेफरेंडम 2020 नाम दिया गया। इसके तहत 2020 में पंजाब में भी इसे लेकर जनमत संग्रह कराना था। शुरुआत में तो इस कैंपेन को बहुत कम सपोर्ट मिला। हालांकि, हाल के दिनों में पश्चिमी देशों में रहने वाले हजारों सिखों को एसएफजे जनमत संग्रह में मतदान करते देखा गया। इसका मकसद खालिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समर्थन हासिल करना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *