खेल मंत्रालय ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) से भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) को चलाने के लिए एक अस्थायी पैनल बनाने के लिए कहा है। नवगठित भारतीय कुश्ती महासंघ को निलंबित करने के कुछ घंटों बाद केंद्र सरकार ने भारतीय ओलंपिक संघ से कुश्ती संस्था को चलाने के लिए पैनल बनाने को कहा है।यह घटनाक्रम तब सामने आया है जब डब्ल्यूएफआई के नए अध्यक्ष संजय सिंह और पूर्व डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के साथ उनकी निकटता को लेकर सवाल उठाए गए थे। बता दें बृजभूषण शरण सिंह पर भारत के शीर्ष पहलवानों ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है एक रिपोर्ट के मुताबिक, खेल मंत्रालय ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) से एथलीट चयन की प्रक्रिया सहित भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के मामलों की देखरेख और संचालन के लिए एक एड-हॉक कमेटी बनाने को कहा है।केंद्र ने कहा, “डब्ल्यूएफआई के पूर्व पदाधिकारियों के प्रभाव और नियंत्रण से उत्पन्न मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, डब्ल्यूएफआई के शासन और अखंडता के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं। इसके लिए खेल संगठनों में सुशासन के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए तत्काल और कड़े सुधारात्मक उपायों की आवश्यकता है, और इस प्रकार अब यह आईओए की जिम्मेदारी बन गई है कि वह डब्ल्यूएफआई के मामलों के प्रबंधन के लिए अंतरिम अवधि के लिए उपयुक्त व्यवस्था करे।”हाल ही में संपन्न डब्ल्यूएफआई चुनावों में बृजभूषण शरण सिंह के करीबी सहयोगी संजय सिंह को भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। संजय सिंह ने राष्ट्रमंडल खेलों की पूर्व स्वर्ण पदक विजेता अनीता श्योराण को हराया जो बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में गवाह थीं। डब्ल्यूएफआई चुनाव नतीजों के बाद तीन शीर्ष पहलवानों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान रियो ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास लेने तक की घोषणा कर दी थी। वहीं बजरंग पुनिया ने भी अपना पद्मश्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लौटाने का फैसला किया।