नीतीश कुमार ने नौवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। नीतीश बिहार के अकेले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने इतनी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। वहीं वह अब तक के सबसे लंबे समय तक बिहार के मुख्यमंत्री पहने वाले शख्स हैं।उनके बाद श्री कृष्ण सिन्हा बिहार में सबसे लंबे समय तक सीएम रहे। उन्होंने 13 साल तक बिहार पर शासन किया था। इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले नीतीश कुमार ने एक बार फिर राजनीति में अपना लोहा मनवा लिया है। वहीं मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही उनकी गजब की सोशल इंजीनियरिंग भी देखने को मिलती रही है।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे पिता
नीतीश कुमार अब तक 9 बार मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ले चुके हैं। उन्होंने 6 बार भारतीय जनता पार्टी के समर्थन के साथ और तीन बार आरजेडी के समर्थन के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। बता दें कि नीतीश कुमार का जन्म 1951 में बख्तियारपुर में हुआ था। उनके पिता एक वैद्य थे और इसके अलावा वह स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय रहे। नीतीश कुमार भी लालू प्रसाद यादव की तरह जेपी आंदोलन के प्रोडक्ट हैं। उन्होंने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के आपातकाल के फैसले के खिलाफ छात्र आंदोलन में भाग लिया था।
1985 में जीता पहला चुनाव
नीतीश कुमार ने पहली बार लोक दल से चुनाव लड़ा था। कांग्रेस की लहर में भी उन्होंने 1985 में हरनौत सीट से विधानसभा का चुनाव जीता। इसके पांच साल बाद लोकसभा का चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंच गए। इसके बाद जब मंडल लहर चल रही थी, तब जॉर्ज फर्नांडीज के साथ मिलकर उन्होंने समता पार्टी बना ली। बाद में यही जेडीयू बनी और केंद्र में लंबे समय तक भाजपा की सहयोगी रही।
पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद ही उनकी सुशासन बाबू की छवि बनने लगी थी। उन्होंने राज्य में फिरौती, अपहरण, उग्रवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाए। हालांकि नीतीश कुमार गठबंधन के बिना कभी चुनाव नहीं जीत पाए। नीतीश कुमार को ही अतिपिछड़ा और महादलित की रानजीति का श्रेय जाता है। इसके अलावा उन्होंने पसमांदा मुसलमानों में भी अपनी पकड़ मजबूत की।
2010 के चुनाव से पहले जनता का मूड देखते हुए नीतीश ने फ्री साइकल, स्कूल यूनिफॉर्म और अन्य कई वादे किए थे। इसका फायदा विधानसभा चुनाव में मिला और भाजपा-जेडीयू गठबंधन ने बड़ी जीत हासिल की। हालांकि उन्होंने 2013 में कहा कि भाजपा में अब अटल आडवाणी का युग खत्म हो गया है। यह कहकर उन्होंने अपना रास्ता बदल लिया। इसके बाद 2017 में वह फिर से एनडीए में लौटे। उन्होंने अपने डिप्टी रहे तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के आरोप लगाए थे। 2020 के चुनाव में उन्होंने भाजपा के साथ चुनाव लड़ा लेकिन जेडीयू को महज 45 सीटें मिलीं। 2022 में उन्होंने भाजपा को छोड़कर आरजेडी के साथ सरकार बना ली। अब एक बार फिर वह एनडीए में वापस आ गए हैं।इसके साथ ही विपक्षी गठबंधन इंडिया को भी बड़ा झटका लगा है।