मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल को सपा का टिकट, गाजीपुर में होने जा रहा यूपी का महामुकाबला

माजवादी पार्टी ने सोमवार को लोकसभा चुनाव के लिए अपनी दूसरी लिस्ट जारी कर दी। इसमें माफिया मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को गाजीपुर से टिकट दिया गया है। अफजाल अंसारी के मैदान में उतरने से यहां महामुकाबला की संभावना बन गई है।गाजीपुर से ही मुख्तार अंसारी के कट्टर दुश्मन माफिया डॉन ब्रजेश सिंह के मैदान में उतारने की तैयारी सुभासपा कर चुकी है। ओपी राजभर इसका ऐलान कर चुके हैं। ओपी राजभर गाजीपुर की ही जहूराबाद सीट से विधायक भी हैं। माना जा रहा है कि भाजपा भी ब्रजेश सिंह को मैदान में लाना तो चाहती है लेकिन अपना सिंबल नहीं देना चाहती। ओपी राजभर के जरिए ब्रजेश सिंह को उतार कर भाजपा एक तीर से दो निशाने लगा सकती है। सुभासपा के टिकट पर ब्रजेश सिंह को उतारने से राजभर की मुराद पूरी हो जाएगी और अफजाल अंसारी को कड़ी टक्कर देने वाला प्रत्याशी मिल जाएगा।पिछली बार मोदी लहर में भी भाजपा यह सीट हार गई थी। तब अफजाल अंसारी ने ही तत्कालीन रेल राज्यमंत्री (वर्तमान में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल) मनोज सिन्हा को हराया था। तब अफजला को बसपा ने टिकट दिया था और गठबंधन के नाते सपा का भी सपोर्ट था। अफजाल को फिर से सांसद बनने से रोकने के लिए भाजपा यहां कोई भी दांव खेल सकती है। इसमें सबसे आसान दांव ब्रजेश सिंह वाला ही हो सकता है।माफिया मुख्तार अंसारी और माफिया डॉन ब्रजेश सिंह की अदावत किसी से छिपी नहीं है। तीन दशक से दोनों गैंग एक दूसरे का खात्मा करने की कोशिशों के लिए कुख्यात हैं। गाजीपुर में ही दोनों के बीच आमना-सामना हुआ और खूनी संघर्ष के बाद वर्षों से ब्रजेश सिंह गायब भी रहा। दोनों की अदावत का ही नतीजा रहा कि गाजीपुर में ही देश की राजनीति को हिला देने वाला कृष्णानंद राय हत्याकांड हुआ। इसमें विधायक कृष्णानंद राय समेत सात लोगों को गोलियों से भून दिया गयाा था।ब्रजेश सिंह इससे पहले वाराणसी से एमएलसी बना था। तब भी भाजपा ने अपना सिंबल तो नहीं दिया लेकिन उसके खिलाफ कोई प्रत्याशी भी नहीं उतारा था। ऐसे में सपा से हुए सीधे मुकाबले में ब्रजेश सिंह को आसान जीत मिल गई थी। इस समय भी ब्रजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह वाराणसी से एमएलसी हैं।

गाजीपुर की राजनीति में अफजाल-मुख्तार परिवार का गहरा प्रभाव
तमाम विरोधों और नकेल के बाद भी मुख्तार अंसारी के परिवार पर गाजीपुर और पड़ोसी मऊ जिले की राजनीति पर गहरा प्रभाव है। आज भी मुख्तार के भाई अफजाल गाजीपुर से सांसद हैं तो बेटे मऊ सीट से विधायक है। बड़े भाई का एक बेटा भी गाजीपुर की ही सीट से विधायक है। इससे पहले मुख्तार-अफजाल के पिता सुभानल्लाह अंसारी वर्ष 1977 से लेकर करीब 10 वर्ष तक मुहम्मदाबाद टाउन एरिया के चेयरमैन रहे। यहां की मुहम्मदाबाद सीट से अफजाल अंसारी पांच बार विधायक रहे। दल कोई रहा हो जीत अफजाल की होती रही। पहली बार वह भाकपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे।

अफजाल के सांसद बनते ही हुआ था खौफनाक हत्याकांड
अफजाल अंसारी 2004 में सपा के टिकट पर जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे। इसी के कुछ समय बाद 29 नवंबर 2005 को मुहम्मदाबाद से विधायक बने कृष्णानंद राय समेत सात लोगों की हत्या कर दी गई। अगले चुनवा में सपा से टिकट नहीं मिला तो बसपा से 2009 का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। अगली बार कौमी एकता दल बनाकर बलिया से मैदान में उतरे लेकिन वहां भी हार मिली थी। पिछली बार सपा-बसपा गठबंधन की तरफ से चुनाव लड़े मनोज सिन्हा जैसे कद्दावर नेता को हराकर फिर से सांसद बने। गैंगस्टर के मामले में उन्हें सजा मिलने के बाद सांसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी। कुछ समय बाद न्यायालय ने सांसदी बहाल कर दी।

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