मुख्तार अंसारी के खौफ से नहीं डरा बुजुर्ग, चोरी हुईं ईंटें तो पहुंच गया था कोर्ट; ऐसे निकली डॉन की ऐंठन

बाहुबली पूर्व विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी का अंतिम संस्कार शनिवार को गाजीपुर जिले में यूसुफपुर मोहम्मदाबाद स्थित उसके पैतृक कब्रिस्तान में किया गया। मुख्तार की गुरुवार को उत्तर प्रदेश के बांदा के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई थी।खौफ का दूसरा नाम कहे जाने वाले मुख्तार अंसारी पर 60 से भी अधिक केस दर्ज थे। दंबगई, रंगदारी, जबरन वसूली और हत्या जैसे आरोप यूपी के इस डॉन पर लगे थे। अब जब मुख्तार अंसारी इस दुनिया में नहीं तो उनके खिलाफ चोरी और जमीन हड़पने का मामला दर्ज करवाने वाले हरिश्चंद्र विश्वकर्मा ने बयान दिया है।
रिपोर्ट की मानें तो रेलवे की नौकरी से रियटर विश्वकर्मा ने मुख्तार के खिलाफ 2 हजार ईंट और जमीन हड़पने का केस दर्ज कराया था। मऊ में रहने वाले 82 साल के विश्वकर्मा ने कहा, “मेरे घर के सामने एक जमीन थी जिस पर कथित तौर पर मुख्तार अंसारी के लोगों ने कब्जा कर लिया था। वहां एक स्कूल बनाया गया था और इसका उद्घाटन करने के लिए मुख्तार अंसारी को बुलाया गया था।”
मुख्तार के लोगों ने चुरा ली थी 2 हजार ईंटें
विश्वकर्मा आगे बताते हैं कि स्कूल तक जाने वाली सड़क बनाने के लिए उनके (मुख्तार अंसारी) लोगों ने उनकी 2 हजार ईंटें चुरा लीं। इन ईंटों को विश्वकर्मा ने अपना घर बनवाने के लिए खरीदा था। उन्होंने कहा, “मुख्तार अंसारी जब स्कूल का उद्घाटन करने आए, तो उन्हें सिक्कों से तोला गया था।” विश्वकर्मा के हवाले से एनडीटीवी ने बताया कि जमीन राज्य सरकार की थी। इसके बाद उन्होंने तुरंत मुख्तार अंसारी और उनके लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया।
पेंशन के पैसे से भरी वकीलों की फीस
रेलवे से रिटायर हरिश्चंद्र विश्वकर्मा ने बताया कि उन्होंने केस लड़ने के लिए अपनी पेंशन के पैसे से वकीलों की फीस दी। उनके लिए यह केस लड़ना काफी मुश्किल हो गया था। क्योंकि उनके बड़े भाई पर मुख्तार अंसारी के लोगों ने हमला कर दिया था। इसके बावजूद उन्होंने यह मामला वापस लेने से इनकार कर दिया। कई सालों की मशक्कत के बाद आखिर वह केस जीत गए और स्कूल बंद कर दिया गया। उस संपत्ति को मऊ नगरपालिका ने अपने कब्जे में ले लिया। साल 2018 में विश्वकर्मा की पत्नी का देहांत हो। उन्हें उनकी ईंटें नहीं मिली फिर भी उन्होंने अपना घर बना लिया।

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