पीएम नरेंद्र मोदी शुक्रवार को नासिक के पंचवटी पहुंचे। यहां उन्होंने अपने 11 दिनों के अनुष्ठान के पहले दिन कालाराम मंदिर के दर्शन किए और यहां सफाई भी की। वह पोछा लगाते दिखे और फिर युवा महोत्सव में पहुंचे लोगों को सीख दी कि हमें 22 जनवरी को देश के सभी मंदिरों की सफाई करनी है और वहां आयोजन करने हैं।कालाराम मंदिर में दर्शन करने पहुंचे पीएम मोदी ने यहां सफाई करके दो वर्गों को अहम संदेश दिया। एक तरफ उन्होंने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले 11 दिन के अनुष्ठान की शुरुआत यहां से करके हिंदूवादी लोगों में उत्साह जगाया तो वहीं दलित तबके को भी बड़ा संदेश दिया।दरअसल कालाराम मंदिर महाराष्ट्र के बड़े धार्मिक प्रतिष्ठानों में से एक है। यहां 20वीं सदी में दलित समुदाय के लोगों के लिए प्रवेश वर्जित था। इस नियम को भेदभाव वाला बताते हुए भीमराव अंबेडकर ने आंदोलन किया था, जिसे कालाराम सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा गोदावरी के तट पर पंचवटी में बना यह मंदिर हिंदू धर्मावलंबियों के लिए बेहद खास है। यह वही पंचवटी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि भगवान राम ने माता सीता और लक्ष्मण के साथ यहां कुछ वक्त गुजारा था। यहां बरगद के 5 विशाल वृक्ष थे, जिसके चलते इसका पंचवटी नाम पड़ा।इसके नाम से ही अर्थ भी लगाया जाता है, जैसे पंच का मतलब पांच और वटी का अर्थ बरगद। पीएम नरेंद्र मोदी की यहां की यात्रा इसलिए भी अहम है क्योंकि ठीक 10 दिन बाद वह अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करने वाले हैं। इस आयोजन के लिए जोरदार तैयारियां की गई हैं और देश भर से 10 हजार लोगों को बुलाया गया है। उस आयोजन से पहले पीएम मोदी 11 दिनों के अनुष्ठान पर हैं। इसके तहत वह आज नासिक पहुंचे। यहां उन्होंने गोदावरी नदी में जल पूजन किया और फिर वह मंदिर में पूजा की।मौजूदा दौर में जो कालाराम मंदिर है, उसे सरदार रंगराव ओढेकर ने बनाया था, जिसमें पुरानी लकड़ी का भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ था। यहां भीमराव अंबेडकर ने 2 मार्च, 1930 को आंदोलन किया था। इस मंदिर को कालाराम मंदिर इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की काले पत्थर की प्रतिमाएं हैं। इनकी ऊंचाई दो फुट है। नरेंद्र मोदी देश के पहले पीएम हैं, जिन्होंने इस मंदिर का दौरा किया है। बता दें कि उद्धव ठाकरे भी इस मंदिर में 22 जनवरी को जाने वाले हैं।