प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद की सुरक्षा में सेंध की घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे गंभीर मामला बताया है। प्रधानमंत्री ने राजनीतिक दलों से इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने से परहेज करने का भी आग्रह किया है।
उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला बताया है। पीएम मोदी ने ये टिप्पणी एक अखबार को दिए इंटरव्यू में की है। उन्होंने इस घटना की गहन जांच का भी आह्वान किया।
पीएम मोदी ने पहले अपने वरिष्ठ मंत्रियों को लोकसभा में सुरक्षा उल्लंघन को गंभीरता से लेने का निर्देश दिया है। उन्होंने गुरुवार को एक बैठक के दौरान अपने मंत्रियों से कहा, “इस घटना को गंभीरता से लें। राजनीति न करें। हम सभी को सावधानी बरतनी होगी।” आपको बता दें कि सरकार ने संसद की सुरक्षा की संभावित खामियों की जांच के लिए एक पैनल का गठन किया है, जिनकी वजह से दो लोग लोकसभा में घुसपैठ कर गए और कार्यवाही को बाधित करने का प्रयास किया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शनिवार को सदन के सदस्यों को सूचित किया कि उन्होंने संसद परिसर में सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया है। उन्होंने कहा कि समिति यह सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस कार्ययोजना तैयार करेगी कि 13 दिसंबर जैसी घटनाएं दोबारा न हों। बिरला ने लोकसभा सदस्यों को लिखे एक पत्र में यह भी कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित उच्च स्तरीय जांच समिति ने अपना काम शुरू कर दिया है। शीघ्र इसकी रिपोर्ट को सदन के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। लोकसभा अध्यक्ष ने संसद की सुरक्षा में चूक के बाद सदन की कार्यवाही बाधित होने को लेकर सांसदों को पत्र लिखकर साफ किया है कि 13 दिसंबर की संसद की सुरक्षा में चूक की घटना और सांसदों के निलंबन के फैसले अलग-अलग हैं। दोनों को जोड़कर देखा जाना अनुचित है।
बिरला ने कहा कि नए संसद भवन में सदन की कार्यवाही को सुचारू ढंग से चलाने के लिए सभी की सहमति से लिए गए फैसले के आधार पर ही कार्रवाई की गई है। बिरला ने घटना की विभिन्न उच्चस्तरीय जांचों का उल्लेख करते हुए सांसदों को आवश्यक और प्रभावी कार्रवाई को लेकर आश्वस्त किया है।
बिरला ने सांसदों को लिखे पत्र में कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राजनीतिक दल और कुछ सांसद सदन द्वारा लिए गए सांसदों के निलंबन के फैसले को संसद में हुई घटना से जोड़ रहे हैं। यह अनुचित है। सांसदों के निलंबन और सदन में 13 दिसंबर, 2023 को हुई घटना का परस्पर कोई संबंध नहीं है। सांसदों का निलंबन विशुद्ध रूप से संसद भवन में श्रेष्ठ संसदीय परंपराओं के अनुपालन से जुड़ा है। नए संसद भवन में प्रवेश के समय हम सभी ने मिलकर तय किया था कि हम सदन में तख्तियां और प्लेकार्ड लेकर नहीं आएंगे, सदन के वेल में जाकर हंगामा नहीं करेंगे। इसी संदर्भ में सदन की गरिमा और प्रतिष्ठा की सुरक्षा के लिए सदन को सासंदों के निलंबन का कठोर निर्णय लेना पड़ा है। इस निर्णय का उनको भी दुख है, लेकिन आप सभी से मेरी अपेक्षा भी है कि भविष्य में सभी सदस्य सदन की गरिमा को सर्वोपरि रखेंगे।