इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में बरेली दंगे के मास्टरमाइंड मौलाना तौकीर रज़ा की याचिका पर निर्णय सुरक्षित कर लिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद दिया।इत्तेहाद ए मिल्लत काउंसिल के चीफ है। मौलाना तौकीर रजा पर बरेली में 2010 में हुए दंगे को भड़काने का आरोप है।बरेली की अदालत ने मौलाना तौकीर रजा को 2010 में बरेली में हुए दंगे का मास्टरमाइंड माना है। साथ ही उसे दोषी करार देते हुए गिरफ्तारी का वारंट जारी किया है। दोषी करार दिए जाने के बाद मौलाना तौकीर रजा को अदालत में सरेंडर करना था। अदालत में पेश नहीं होने पर उसके खिलाफ दो बार गैर जमानती वारंट जारी हो चुका है। अदालत ने बरेली पुलिस को मौलाना तौकीर रजा को गिरफ्तार कर पेश करने का भी आदेश दिया है। याचिका में वारंट आदेश को चुनौती दी गई है। तौकीर रजा की याचिका पर मंगलवार को सुनवाई में मौलाना तौकीर रजा के वकीलों ने पक्ष रखा। सरकारी वकील ने याचिका का विरोध किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया।
मौलाना के घर पर गिरफ्तारी वारंट चस्पा
2010 के दंगे का मास्टरमाइंड मौलाना तौकीर रजा फिलहाल फरार है और पुलिस उसकी तलाश में लगातार दबिश दे रही हैं। इसी क्रम में सोमवार को प्रेमनगर पुलिस ने कोतवाली के मोहल्ला सौदागरान स्थित मौलाना के घर उसका गिरफ्तारी वारंट चस्पा कर दिया। बता दें कि साल 2010 में बरेली में हुए सांप्रदायिक दंगे को लेकर प्रेमनगर थाने में तत्कालीन इंस्पेक्टर प्रेमनगर करन सिंह ने 178 नामजद और हजारों अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें बलवा, जानलेवा हमला, डकैती और धार्मिक उन्माद फैलाने समेत तमाम आरोप लगाए गए थे। दंगे के चलते कई हफ्ते तक शहर में कर्फ्यू लगा रहा।