नागरिकता संशोधन कानून मार्च से लागू करने की तैयारी है। मार्च के पहले सप्ताह में ही लोकसभा चुनाव का भी ऐलान होना है। ऐसे में सरकार आचार संहिता लगने से पहले ही यह बड़ा फैसला लेने जा रही है।इससे पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से उत्पीड़न का शिकार होकर भारत में शरण लेने वाले हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म के लोगों को फायदा मिलेगा। इस नियम के तहत 31 दिसंबर, 2014 तक पड़ोस के तीन देशों से उत्पीड़न का शिकार होकर आए लोगों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। अफगानिस्तान, पाक और बांग्लादेश तीनों ही इस्लामिक मुल्क हैं और यहां हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन पंथ के लोग अल्पसंख्यक हैं।
पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफगानिस्तान से बड़ी संख्या में लोग दशकों से पलायन करके भारत आते रहे हैं। दिल्ली, यूपी समेत कई राज्यों में ये लोग बसे भी हैं, लेकिन लाखों की इस आबादी के पास भारत की नागरिकता नहीं है। इसके चलते उन्हें मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पाती हैं। ऐसे में इस कानून के लागू होने के बाद लोगों को नागिरकता मिलेगी तो वोट देने के अधिकार समेत तमाम चीजों की सुविधा हो जाएगी। यह कानून पहले ही संसद से मंजूर हो गया था, जिसे अब लागू किया जाएगा।बता दें कि दिल्ली समेत कई राज्यों इस कानून को मुस्लिम विरोधी बताते हुए इसके खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए थे। हालांकि सरकार का कहना है कि यह कानून किसी मजहब विशेष के खिलाफ नहीं है। सरकार का कहना है कि इससे सिर्फ पड़ोसी देशों में पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी, जिनकी स्वाभाविक शरणस्थली भारत ही है।
क्यों हिंदू समेत 4 धर्मों के लोगों को मिलेगा फायदा
इसकी वजह यह है कि हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन धर्मों की शुरुआत भारत से ही हुई थी और कहीं भी इन धर्मों के लोग पीड़ित होने पर भारत की ओर ही देखते हैं। ऐसे में उन्हें राहत देने के लिए इस कानून को लाया गया है। गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून के तहत किसी नागरिकता नहीं जाएगी बल्कि उन शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी, जो दूसरे देशों से पीड़ित होकर आए हैं।