मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने जिस तरह से मुख्यमंत्रियों का चुनाव किया, उसे लेकर महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। खासतौर से महाराष्ट्र की बीजेपी यूनिट के नेताओं के बीच इसकी खूब चर्चा हो रही है।सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि अगर 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंधन को जीत मिली तब क्या होगा? आखिर वो कौन सा चेहरा होगा जिसे पार्टी आलाकमान की ओर से सीएम बनाया जाएगा। यह बहस इसलिए छिड़ी है क्योंकि उपरोक्त तीन राज्यों में भगवा दल ने पुराने नेताओं की जगह नए चेहरों को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।
सवाल उठाया जा रहा है कि क्या महाराष्ट्र में भी ऐसा ही होगा? राज्य विधानसभा का इन दिनों शीतकालीन सत्र चल रहा है और नागपुर स्थित विधानमंडल परिसर में चर्चाएं इसी के इर्द-गिर्द घूम रही हैं। अगर भाजपा आलाकमान ने महाराष्ट्र में भी नए चेहरे को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया तो क्या होगा? बीजेपी गठबंधन में ऐसे कई नेता हैं जो ऐसी स्थिति में खुद को दावेदार मानते हैं। यह स्थिति भाजपा के सीनियर नेताओं के लिए चिंता भी पैदा करती है। माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी हाई कमान राज्य के कई सीनियर लीडर्स और मंत्रियों को टिकट दे सकता है। इसका यह भी मतलब निकलता है कि दिग्गज नेताओं को अब राज्य से हटाकर केंद्र में सक्रिय करने की तैयारी है।
गठबंधन नेताओं को संतुष्ट रखना कितना मुश्किल
सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि कुछ मौजूदा संसदों के टिकट कट सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो क्या उन्हें विधानसभा चुनाव में मौका मिलेगा या फिर नहीं? मराठा आंदोलन पर भी भाजपा आलाकमान की नजर बनी हुई है। माना जा रहा है कि यह मुद्दा राज्य में सभी राजनीतिक दलों की योजनाओं को प्रभावित कर सकता है। दरअसल, कोई भी पार्टी अपने शीर्ष नेताओं को हल्के में नहीं ले सकती। इसलिए बीजेपी अपने दिग्गजों को राज्य से हटाने के बाद के प्लान की तैयारी कर रही है। खासतौर से महाराष्ट्र में भाजपा जिस तरह की गठबंधन सरकार चल रही है, उसके नेताओं को आगामी चुनावों में संतोषजनक मौका देना चुनौती से कम नहीं है।
क्या शिंदे, फडणवीस और पवार के लिए टेंशन की बात
बीजेपी लीडर देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम हैं और खुद मुख्यमंत्री रह चुके हैं। फिलहाल सीएम की कमान शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे के पास है। एनसीपी नेता अजीत पवार मौजूदा सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं और सीएम पद की ख्वाहिश रखते हैं। ऐसे में गठबंधन नेताओं के बीच आत्मविश्वास की कमी तो जरूर झलकती है। बीते विधानसभा चुनावों के बाद बीजेपी ने जिस तरह से मुख्यमंत्रियों का चुनाव किया है उसने टेंशन और बढ़ा दी है। दूसरी ओर उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना, शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस के नेता भी चुनावी तैयारियों में जुट गए हैं। इन विपक्षी दलों का प्रयास भी आगामी चुनावों में खुद को और अधिक मजबूत करने की है। अगर एक बार फिर से गठबंधन की स्थिति बनती है तो सीएम पद को लेकर खेल फिर से बिगड़ सकता है।