लोकसभा चुनावों के बीच अखिलेश यादव को एक बार फिर झटका लगा है। मेरठ से सपा विधायक रफीक अंसारी को आपराधिक मुकदमे में बाराबंकी से गिरफ्तार किया गया है। सपा विधायक रफीक अंसारी पिछले 26 सालों से अधिक समय से कानूनी तौर पर फरार चल रहे थे।
इस दौरान कोर्ट उनके खिलाफ लगातार गैर जमानती वारंट और कुर्की के आदेश जारी करती रही। लेकिन आज तक कोई भी वारंट उन्हें तमिल नहीं कराया जा सका। रफीक इसी मामले में कोर्ट गए थे लेकिन को न्यायालय ने कठोर टिप्पणी करते हुए न सिर्फ रफीक की याचिका खारिज कर दी थ बल्कि डीजीपी को यह भी निर्देश दिया है कि वह वारंट तामील कराकर अदालत में अपनी रिपोर्ट दाखिल करें। इसके बाद यह कार्रवाई की गई है।
12 सितंबर 1995 को रफीक अंसारी और अन्य 35/40 लोगों के खिलाफ मेरठ के नौचंदी थाने में बलवा, तोड़फोड़ और आगजनी के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी । इसमें से 22 लोगों के खिलाफ 24 अक्टूबर 1995 को पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया। वहीं, रफीक अंसारी के खिलाफ 22 जून 1996 को संपूरक आरोप पत्र दाखिल किया गया। कोर्ट ने 18 दिसंबर 1997 को रफीक के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया। लेकिन वह कभी अदालत में हाजिर नहीं हुए। इस दौरान 22 अभियुक्तों के खिलाफ 15 मई 1997 को मुकदमे का विचारण पूरा हो गया और सभी को बरी कर दिया गया था लेकिन सपा विधायक के खिलाफ गैर जमानती वारंट व कुर्की का आदेश अदालत से लगातार जारी किया जाता रहा।
रफीक की ओर से याचिका दाखिल कर कहा गया कि इसी मुकदमे में अन्य 22 अभियुक्त बरी हो चुके हैं, इसलिए याची के खिलाफ दर्ज मुकदमे की कार्रवाई को समाप्त किया जाए। कोर्ट ने यह मांग यह कहते हुए खारिज कर दी की सह अभियुक्तों की दोष मुक्ति का निर्णय अन्य अभियुक्तों को बिना ट्रायल चलाए और बिना उनके खिलाफ साक्ष्य की समीक्षा किए मुकदमे की कार्रवाई समाप्त करने का आधार नहीं हो सकता है। इसी मामले में हाईकोर्ट ने सपा विधायक रफीक अंसारी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था। इसके बाद से सपा विधायक की मुश्किलें बढ़ गई थी। मेरठ एसएसपी ने भी आरोपी सपा विधायक की गिरफ्तारी के लिए एक टीम का गठन किया था जो लगातार ताबिश दे रही थी। सपा विधायक रफीक अंसारी को बाराबंकी के जैतपुर थाना क्षेत्र में गिरफ्तार किया गया है।