बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते लालू परिवार के भ्रष्टाचार से समझौता कर लिया।
यही वजह है कि नीतीश कुमार रेलवे में नौकरी के बदले लोगों की जमीन लिखवाने के मामले में अपने डिप्टी तेजस्वी यादव से अब बिंदुवार जवाब नहीं मांगते। उन्होंने लालू यादव पर कुली-चपरासी की नौकरी के बदले जमीन लेने का दावा किया। सुशील मोदी ने पूछा है कि क्या वे केजरीवाल की तरह अपने सहयोगी मंत्री की गिरफ्तारी का इंतजार कर रहे हैं? 2017 में तेजस्वी से जवाब मांगते हुए नीतीश कुमार ने लालू यादव की पार्टी आरजेडी से तौबा कर लिया था और पुराने साथी बीजेपी के साथ एनडीए में चले गए थे।
सुशील मोदी ने कहा कि नौकरी के बदले जमीन मामले में लालू परिवार के करीबी अमित कात्याल की गिरफ्तारी के बाद ताजा आरोप-पत्र में तेजस्वी यादव की बहन हेमा यादव और हृदयानंद चौधरी सहित सात नाम शामिल होने से आरोपियों के विरुद्ध कानून का शिकंजा कसता जा रहा है। जांच एजेंसियां जानना चाहती हैं कि लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहने के दौरान रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरी पाने वाले हृदयानंद चौधरी ने पटना में अपनी करोड़ों की जमीन लालू प्रसाद की पुत्री हेमा यादव को क्यों दान कर दी? इसका जवाब उन्हें देना चाहिए।
भाजपा राज्यसभा सांसद ने कहा कि जिनके पिता ने कुली-चपरासी जैसी मामूली सरकारी नौकरी देने के बदले लोगों की जमीन ले ली, वे क्या बिना कुछ लिये नियुक्ति -पत्र बांट सकते हैं? समय आने पर इसकी सच्चाई भी सामने आ जाएगी। उन्होंने कहा कि राजद के साथ पिछली पारी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार के मामले में तेजस्वी यादव का नाम आने पर उनसे अकेले में बात की थी और सभी आरोपों का बिंदुवार जवाब नहीं मिलने पर जुलाई 2017 में स्वयं पद इस्तीफा देकर गठबंधन तोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि 6 साल बाद फिर मुख्यमंत्री के सामने वही परिस्थिति है और लोग भी वही हैं। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री बनने का सपना उन्हें चुप रहने को विवश कर रहा है। लेकिन जनता ने यह तय कर लिया है कि नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाना है।