पंजाब में किसान आंदोलन में प्रदर्शनकारी किसानों के जीवन और उनकी संपत्तियों के हुए नुकसान के आकलन के लिए भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।इसमें मांग की गई है कि 21 फरवरी को पंजाब-हरियाणा सीमाओं पर प्रदर्शनकारी किसानों को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए न्यायिक जांच की जाए। याचिका में कहा गया कि निहत्थे किसानों पर सेना स्तर के हथियारों का इस्तेमाल किया गया था। इसमें कई किसानों की जान चली गई थी और 250 से अधिक किसान घायल हुए थे।
भाकियू प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने जनहित याचिका में बताया कि हरियाणा सरकार के आदेश पर हरियाणा पुलिस व सीआरपीएफ ने पंजाब के क्षेत्र में घुसकर प्रदर्शनकारी किसानों पर हिंसक कार्रवाई की गई थी। इसमें कई किसानों की जान चली गई थी और 250 से अधिक किसान घायल हो गए। पैलेट गन के इस्तेमाल के कारण कई किसानों ने अपने अंग खो दिए। अंधाधुंध गोलीबारी के कारण किसानों की जान और संपत्ति जैसे ट्रैक्टर ट्रॉली, कार, मोटरसाइकिल और अन्य मोटर वाहनों को भी भारी नुकसान हुआ। किसान अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना चाहते थे और इन निहत्थे किसानों पर अंधाधुंध फायरिंग की गई।
स्वतंत्र आयोग गठन की मांग
याचिका में कहा गया है कि हरियाणा सरकार की हिंसक कार्रवाई पर पंजाब सरकार व पंजाब पुलिस मौन रही। हरियाणा सरकार के कहने पर पुलिस द्वारा किए गए नुकसान की जांच दोनों राज्य की सरकारें नहीं कर सकती हैं। ऐसे में हरियाणा पुलिस के इन हिंसक कृत्यों की जिम्मेदारी तय करने के लिए उच्च न्यायालय के मौजूदा या सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में स्वतंत्र आयोग गठित करने का निर्देश जारी करने की अपील की गई है।
शंभू और खनौरी बॉर्डर पर मोर्चा
वहीं, बुधवार को दिल्ली कूच प्रोग्राम में पंजाब के किसान शामिल नहीं होंगे। लेकिन शंभू व खन्नौरी बॉर्डरों पर चल रहे किसानी आंदोलन को और मजबूत किया जाएगा। छह मार्च को शंभू और खनौरी बॉर्डर पर तो पक्का मोर्चा लगा रहेगा, मगर अन्य राज्यों से हजारों की संख्या में किसान दिल्ली के लिए कूच करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और भारतीय किसान-मजदूर संघर्ष कमेटी की ओर से इस आंदोलन में समर्थन दे रही सभी जत्थेबंदियों से अपील की गई है कि बॉर्डरों पर किसानों की संख्या बढ़ाई जाए।