गिरफ्तारी तो कानून तय करता है, चुनाव से क्या मतलब; केजरीवाल की दलील पर HC सख्त

दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल को झटका देते हुए गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका खारिज कर दी है। इस दौरान कोर्ट ने कई बड़ी बातें कहीं। कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय को लेकर भी सख्त टिप्पणी की है।दरअसलआम आदमी पार्टी लगातार गिरफ्तारी के समय को लेकर सवाल उठाती रही है। पार्टी आरोप लगाती रही है कि केजरीवाल को जानबूझकर चुनाव से पहले गिरफ्तार किया गया है ताकी उन्हें चुनाव प्रचार से रोका जा सके।इस बीच गिरफ्तारी के समय को लेकर पीठ ने कहा कि गिरफ्तारी कोर्ट के कानून के अनुसार होती है ना की चुनाव के अनुसार। फैसला पड़ते हुए जस्टिस स्वर्णकांता ने कहा कि इस अदालत की राय है कि आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उसकी गिरफ्तारी और रिमांड की जांच कानून के अनुसार की जानी चाहिए, ना कि चुनाव के समय के अनुसार।इसके अलावा कोर्ट ने कई और सख्त टिप्पणियां की। कोर्ट ने कहा कि ईडी द्वारा इकट्ठी की गई सामग्री से पता चलता है कि अरविंद केजरीवाल ने साजिश रची थी और अपराध की आय के उपयोग और छिपाने में सक्रिय रूप से शामिल थे। ईडी के मामले से यह भी पता चलता है कि वह निजी तौर पर आम आदमी पार्टी के संयोजक के तौर पर भी शामिल थे।

हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि सरकारी गवाह के बयान दर्ज करने के तरीके पर संदेह करना अदालत और न्यायाधीश पर आक्षेप लगाना होगा। वर्तमान मामले में कई बयानों के बीच राघव मगुंटा और सरथ रेड्डी के बयान अनुमोदक के बयान हैं जो धनशोधन अधिनियम के अलावा सीआरपीसी की धारा 164 के तहत भी दर्ज किए गए थे। हाई कोर्ट ने कहा कि दस्तावेजों की आपूर्ति न होने के मुद्दे पर पहले ही कहा जा चुका है कि आप कानून के मुताबिक दस्तावेज पाने के हकदार होंगे। सरकारी गवाह बनाने का कानून एक साल नहीं बल्कि सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। यह नहीं कहा जा सकता कि इसे वर्तमान याचिकाकर्ता केजरीवाल को फंसाने के लिए बनाया गया है।

बता दें, केजरीवाल ने केंद्रीय एजेंसी द्वारा अपनी गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाया था। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी गिरफ्तारी लोकतंत्र, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और समान अवसर सहित संविधान की मूल संरचना का ‘उल्लंघन’ है। इसलिए उनकी गिरफ्तारी को अवैध घोषित किया जाना चाहिए। केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। वह अभी भी न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं। कावेरी बावेजा की विशेष अदालत ने एक अप्रैल को उन्हें 15 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा था।

ईडी ने केजरीवाल पर दिल्ली आबकारी नीति 2021-2022 (विवाद के बाद रद्द कर दी गई थी) के माध्यम से गलत तरीके से करोड़ों रुपए हासिल करने के लिए मुख्य भूमिका निभाने वाला साजिशकर्ता होने का आरोप लगाया है। सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को वर्ष 2021-22 की आबकारी नीति बनाने और उसके कार्यान्वयन में की गई कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए एक आपराधिक मुकदमा दर्ज किया था। इसी आधार पर ईडी ने 22 अगस्त 2022 को धनशोधन का मामला दर्ज किया था।

ईडी का दावा है कि आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं – दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री सिसौदिया, सांसद संजय सिंह सहित अन्य ने अवैध कमाई के लिए ‘साजिश’ रची थी। गौरतलब है कि इस मामले में आप सांसद संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट ने दो अप्रैल को राहत दी। शीर्ष अदालत ने उन्हें जमानत की अनुमति दी थी और संबंधित विशेष अदालत को जमानत की शर्ते तय करने का निर्देश दिया था। इस आदेश के मद्देनजर राऊज एवेन्यू स्थित काबेरी बावेजा की विशेष अदालत ने तीन अप्रैल को उन्हें सशर्त तिहाड़ जेल से रिहा करने का आदेश पारित किया था। इसके बाद श्री सिंह को गुरुवार रात रिहा कर दिया था।

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