केजरीवाल को कोर्ट में पेश होना ही होगा, ऊपरी अदालत का राहत से इनकार

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 16 मार्च (शनिवार) को मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश होना ही होगा। राउज एवेन्यू स्थित सत्र अदालत ने समन पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने सत्र अदालत में अपील दायर करके व्यक्तिगत पेशी से छूट की मांग की थी।उनकी याचिका पर गुरुवार और शुक्रवार को लंबी सुनवाई हुई।स्पेशल जज राकेश सयाल ने कहा है कि कार्रवाई पर स्टे खारिज किया जाता है, लेकिन अगर वह (केजरीवाल) उपस्थिति से छूट चाहते हैं तो ट्रायल कोर्ट में अपील कर सकते हैं। एक के बाद एक लगातार 8 समन को दरकिनार किए जाने की वजह की वजह से ईडी ने केजरीवाल के खिलाफ शिकायत की थी। सीएम पर आईपीसी की धारा 174 (लोकसेवक बुलावे पर हाजिर ना होना) के तहत केस चलाने की मांग की गई थी। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) दिव्या मल्होत्रा की अदालत ने दोनों ही मामलों में उन्हें 16 मार्च को पेश होने को कहा था।मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ से शुक्रवार को अधिवक्ता राजीव मोहन और वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने दलीलें रखीं। केजरीवाल के वकीलों की तरफ से कई दलीलें पेश करते हुए केजरीवाल को व्यक्तिगत पेशी से छूट देने की मांग की गई। ईडी की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने याचिका का पुरजोर विरोध किया। कोर्ट ने गुरुवार को पहले और शुक्रवार को दूसरे समन पर दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद फैसला कुछ घंटों के लिए सुरक्षित रख लिया था।आर्थिक अपराधों की जांच करने वाली केंद्रीय एजेंसी दिल्ली के कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में दिल्ली के मुख्यमंत्री से पूछताछ करना चाहती है। इसके लिए उन्हें पिछले साल नवंबर से अब तक कुल 8 बार बुलाया जा चुका है। केजरीवाल ने ईडी के नोटिस को अवैध और राजनीतिक से प्रेरित बताते हुए हर बार दरकिनार किया। हालांकि, पिछले नोटिस के बाद उन्होंने कहा था कि 12 मार्च के बाद ईडी चाहे तो वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हो सकते हैं। मनी लॉन्ड्रिंग के इसी केस में केजरीवाल से पहले ईडी दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को भी गिरफ्तार कर चुकी है।

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