कांग्रेस को कर्नाटक जिताने वाले चुनावी रणनीतिकार नहीं होंगे टीम 2024 का हिस्सा, क्या करेंगे

कर्नाटक और तेलंगाना विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत के हीरो रहे चुनावी रणनीतिकार सुनील कनुगोलू 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के अभियान का हिस्सा नहीं होंगे। कनुगोलू इससे पहले कांग्रेस के ‘टास्क फोर्स 2024’ का हिस्सा थे।लेकिन अब वह पार्टी के हरियाणा और महाराष्ट्र अभियानों की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करेंगे। सुनील कनुगोलू के करीबी सूत्रों के हवाले से लिखा कि कनुगोलू की टीमें पहले से ही हरियाणा और महाराष्ट्र में काम पर जुट गई हैं। इसी वजह से उनका फोकस अब राज्य चुनावों पर होगा। इन दोनों राज्यों में सात महीने के भीतर चुनाव होगा। ऐसे में कांग्रेस कर्नाटक और तेलंगाना विधानसभा चुनावों में पिछले साल की जीत को आगे बढ़ाने की तैयारी में जुटी है।कांग्रेस दो साल पहले तक एक अन्य दिग्गज चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ बात कर रही थी। हालांकि प्रशांत किशोर अब अपने रास्ते पर ‘जनसुराज’ के साथ आगे निकल चुके हैं। पीके के जाने के बाद सारा दारोमदार कनुगोलू पर था। हालांकि अब दूसरे हाई-प्रोफाइल पोल मास्टरमाइंड हैं भी आम चुनाव की तैयारी से जुड़े नहीं होंगे।जानकारी के मुताबिक सुनील को सोनिया गांधी ने पिछले साल मई में 2024 के लिए कांग्रेस के चुनावी टास्क फोर्स का सदस्य बनाया था। इस टीम में पी चिदंबरम, मुकुल वासनिक, जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल, अजय माकन, प्रियंका गांधी, और रणदीप सिंह सुरजेवाला हैं। हालांकि, कांग्रेस के प्रमुख चुनावी रणनीतिकार अब इसी साल अप्रैल/मई में होने वाले आम चुनावों में पार्टी का अभियान संभालने के लिए मौजूद नहीं होंगे।इस खबर ने पार्टी के कुछ हलकों में चिंताएं बढ़ा दी हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, महासचिव पद पर आसीन एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि लोकसभा अभियान में उनकी अनुपस्थिति एक “मामूली झटका” है। हालांकि उन्होंने बताया कि कांग्रेस का मानना है कि अगर वह अपनी ‘क्षमता’ का इस्तेमाल कर बीजेपी से प्रमुख राज्य जीत सकें तो इससे दीर्घकालिक लाभ जरूर होगा।रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि कनुगोलू कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस की सरकारों के साथ भी काम करना जारी रखेंगे। कर्नाटक में वह कैबिनेट रैंक के साथ अब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के प्राथमिक सलाहकार हैं। कांग्रेस की चुनाव मशीनरी के लिए कनुगोलू का महत्व शायद पिछले साल के मध्य प्रदेश और राजस्थान चुनावों में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद समझ आया। ऐसी खबरें आई थीं कि इन राज्यों के स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने कनुगोलू की सेवा लेने से इनकार कर दिया था।कनुगोलू ने उन राज्यों में नेताओं के साथ शुरुआत में बातचीत की थी, लेकिन न तो कमल नाथ और न ही अशोक गहलोत उनकी मांगों पर सहमत हुए। हर राज्य में कांग्रेस बुरी तरह हारी। हालांकि सूत्रों ने बाद में बताया कि कर्नाटक और तेलंगाना में जीत कनुगोलू को खुली छूट दिए जाने का परिणाम थी।

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