जयंत का ऐलान और भाजपा की खामोशी, गठबंधन में कहां फंस रहा पेच; क्या सीटों पर अटक रही सुई

यंत चौधरी द्वारा भाजपा के साथ आने का ऐलान किए 10 दिन बीत चुके हैं। इसके बावजूद भाजपाई खेमे में चुप्पी छाई हुई है। अब इसको लेकर दोनों खेमों में बेचैनी छाने लगी है। हालांकि वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि गठबंधन पर मुहर लग चुकी है।इस बीच ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर पेच फंस रहा है। दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि घोषणा के लिए सही मौके का इंतजार किया जा रहा है। इस बात का इंतजार हो रहा कि किसानों द्वारा चल रहा प्रदर्शन खत्म हो जाए फिर आरएलडी के एनडीए में आने का ऐलान होगा।

क्या है चुप्पी का राज
गौरतलब है कि बीते दिनों आरएलडी चीफ जयंत चौधरी ने एनडीए में शामिल होने की बात कही। इसके बाद से भाजपा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इसके अलावा जयंत के साथ भाजपा नेताओं की कोई तस्वीर भी नहीं सामने आई है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इसको लेकर पश्चिमी यूपी में भाजपा नेताओं ने चुप्पी साध रखी है। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा है कि इसको लेकर केंद्रीय मंत्रालय फैसला ले रहा है। वहीं, आरएलडी सदस्यों की तरफ से कहा गया है कि उनकी पार्टी बागपत, बिजनौर, कैराना और मथुरा पर चुनाव लड़ने की बात कर रही है।

पीएम मोदी का इंतजार?
पार्टी नेताओं ने इस बात भी जोर दिया कि गठबंधन फाइनल हो चुका है। अब सिर्फ औपचारिक घोषणा होनी बाकी है। एक आरएलडी नेता ने बताया कि पार्टी के नेता चाहते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव में जयंत चौधरी परिवार की परंपरागत सीट बागपत से उम्मीदवार बनें। एक अनुमान यह भी है कि बागपत लोकसभा क्षेत्र के छपरौली में अजीत सिंह की प्रतिमा के अनावरण के मौके पर गठबंधन का ऐलान हो सकता है। शुरू में इसके लिए 12 फरवरी की तारीख तय की गई थी। आरएलडी सूत्रों के मुताबिक आने वाले दिनों में प्रतिमा के अनावरण के लिए पीएम मोदी खुद छपरौली जा सकते हैं। एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक इससे पहले ही आरएलडी-भाजपा गठबंधन की घोषणा हो सकती है। उन्होंने कहाकि इसको लेकर सभी बातें तय हो चुकी हैं।

किसानों का मुद्दा भी शामिल
वहीं, कुछ अन्य सूत्रों का यह भी कहना है कि पंजाब के किसान हरियाणा की भाजपा सरकार आमने-सामने है। इसको लेकर जाटों के हितों का दम भरने वाले जयंत चौधरी की खामोशी पर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक यह मामला सुलझ जाने के बाद गठबंधन की घोषणा करना ठीक रहेगा। गौरतलब है कि 2020-21 में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन में आरएलडी सक्रिय तौर पर शामिल थी। उस वक्त अजीत सिंह ने किसानों को एकजुट होने और भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने का ऐलान किया था। अब आरएलएडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मोहम्मद इस्लाम ने कहा है कि यह कहना गलत होगा कि जयंत इस मुद्दे पर चुप थे। उन्होंने कहाकि आरएलडी किसानों की पार्टी है और किसानों के मुद्दे पर चुप नहीं रहेगी। उन्होंने कहाकि आरएलएडी सरकार और एनडीए के सहयोगियों से बात कर रही है।

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