विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और रूस के बीच “स्थिर और मैत्रीपूर्ण” संबंधों पर एक बार फिर खुलकर बात की है। जर्मन दैनिक हैंडेल्सब्लैट से बातचीत में कहा कि हर कोई पिछले अनुभवों के आधार पर रिश्ते निभाता है।
अगर मैं आजादी के बाद के भारत के इतिहास को देखूं, तो रूस ने कभी भी हमारे हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया। इस दौरान जयशंकर ने पश्चिम देशों को खूब सुनाया भी। कहा कि जब हथियारों की आपूर्ति की बात आती है तो पश्चिम ने भारत के मुकाबले पाकिस्तान को ‘तरजीह’ दी है।
एस जयशंकर ने कहा, “कई पश्चिमी देशों ने लंबे समय से भारत के बजाय पाकिस्तान को आपूर्ति करना पसंद किया है। लेकिन उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ पिछले 10 या 15 वर्षों में यह प्रवृत्ति बदल गई है और मुख्य आपूर्तिकर्ताओं के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, फ्रांस और इजरायल के साथ हमारी नई खरीदारी में विविधता आई है।”
जयशंकर इस वक्त म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन के लिए जर्मनी में हैं। इस दौरान उन्होंने यहां प्रमुख जर्मन आर्थिक दैनिक हैंडल्सब्लैट से बात की। विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि यूरोप को यह समझना चाहिए कि रूस पर भारत का दृष्टिकोण, मॉस्को के बारे में यूरोप जैसा सोचता है, उसके समान नहीं होगा।
उन्होंने टिप्पणी की, “मेरा कहना यह है कि जैसे मैं यह उम्मीद नहीं करता कि यूरोप चीन के बारे में मेरे जैसा दृष्टिकोण रखेगा, वैसे ही यूरोप को यह समझना चाहिए कि मैं रूस के बारे में यूरोपीय दृष्टिकोण के समान नहीं हो सकता। आइए स्वीकार करें कि रिश्तों में स्वाभाविक मतभेद हैं।”
रूस की तारीफ
उन्होंने कहा, “हर कोई पिछले अनुभवों के आधार पर रिश्ते निभाता है। अगर मैं आजादी के बाद के भारत के इतिहास को देखूं, तो रूस ने कभी भी हमारे हितों को नुकसान नहीं पहुंचाया है। हमारे बीच हमेशा स्थिर और बहुत मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं… और आज मॉस्को के साथ हमारा रिश्ता इसी अनुभव पर आधारित है।”
गौरतलब है कि फरवरी 2022 में व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद पश्चिम और अमेरिका ने कीव के लिए हथियारों और धन की सहायता उपलब्ध कराई है। साथ ही यूरोप और अमेरिका ने रूस पर कई पाबंदियां लगा दी थी। इसमें कच्चे तेल की खरीद सहित कई वित्तीय प्रतिबंध शामिल थे लेकिन, भारत द्वारा रूस से लगातार कच्चा तेल खरीदने के बाद से भारत और रूस के बीच संबंध जांच के दायरे में हैं।
एक सुरक्षा बैठक के लिए जर्मनी के म्यूनिख में जयशंकर ने हैंडल्सब्लैट से कहा कि उन्हें इस समय रूस से कच्चा तेल खरीदने के अलावा कोई विकल्प नहीं दिखता है। उन्होंने इस विषय पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर बार-बार भारत का बचाव किया है। उन्होंने यह भी बताया कि रूस पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अमीर पश्चिमी देशों ने दिल्ली सरकार को मध्य पूर्व के आपूर्तिकर्ताओं से बढ़ी हुई कीमतों पर खरीदने के ऑफर दिए लेकिन, भारत ने मॉस्को के साथ अपनी खरीदी जारी रखी।
उन्होंने जर्मन प्रकाशन को बताया, “अगर किसी ने रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदा और हर किसी ने दूसरे देशों से कच्चा तेल खरीदा होता तो बाजार में कीमतें और भी बढ़ गई होती।” जयशंकर ने पहले भी बताया है कि भारत की रूस से तेल खरीद यूरोपीय देशों द्वारा पहले खरीदी गई मात्रा की तुलना में मामूली है।