क्या इजरायल और हमास की जंग ने अमेरिका को वैश्विक राजनीति में किनारे लगा दिया है? यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि अमेरिका अब खुलकर अपने साथी का बचाव नहीं कर पा रहा है, जबकि चीन अरब और मुस्लिम देशों को साथ लेकर बैठकें कर रहा है।
वहीं यूक्रेन से जंग में ईरान से ड्रोन खरीदने वाले रूस ने एक बार फिर से उससे ही करीबी दिखाई है। रूस ने खुले तौर पर हमास के बर्बर हमले के जवाब में इजरायली ऐक्शन को गलत बताया है। उसने यहां तक कहा कि इजरायल को गाजा पर हमले रोक देने चाहिए। हमास के हमले की सजा आम फिलिस्तीनियों को नहीं मिलनी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के खिलाफ अब तक 6 प्रस्ताव आ चुके हैं, जिनमें से 5 गिर गए। लेकिन हाल ही में मानवीय सहायता के लिए कुछ वक्त को युद्ध रोकने का प्रस्ताव भी आया था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस प्रस्ताव को 12 सदस्यों ने मंजूरी दी और यह पारित हो गया। इसके खिलाफ कोई वोट नहीं पड़ा, लेकिन हमेशा इजरायल का साथ देने वाले अमेरिका ने वोटिंग से ही किनारा कर लिया। इसके अलावा चीन और रूस यह कहते हुए वोटिंग से दूर रहे कि प्रस्ताव में हमास की निंदा नहीं की गई है।
इस तरह अमेरिका वैश्विक दबाव में पहली बार इजरायल के खिलाफ आए प्रस्ताव के विरोध में नहीं खड़ा हुआ, जबकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसके पास वीटो पावर है। वहीं चीन ने अब नया दांव चलते हुए मुसलमान देशों की मीटिंग बुला ली है। इसी सप्ताह सऊदी अरब, जॉर्डन, मिस्र, इंडोनेशिया और फिलिस्तीन के विदेश मंत्री चीन पहुंच रहे हैं। इसके अलावा इस्लामिक सहयोग संगठन के महासचिव हिसेन इब्राहिम ताहा भी चीन जा रहे हैं। इस मीटिंग में इजरायल और हमास युद्ध पर बात होने वाली है।
ईरान और सऊदी को भी चीन ही करीब लाया था
यह पहला मौका है, जब इजरायल और गाजा पट्टी में जारी जंग को लेकर चीन ने दिलचस्पी दिखाई है। इससे पहले ईरान और सऊदी अरब को करीब लाकर चीन पहले ही मुस्लिम वर्ल्ड में दखल दे चुका है। इस तरह चीन मुस्लिम देशों के बीच अपनी स्वीकार्यता बढ़ा रहा है। वहीं अमेरिका के करीबी रहे मुस्लिम वर्ल्ड के सऊदी अरब, कतर और जॉर्डन जैसे देश भी उसे आंख दिखा रहे हैं। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने तो 15 घंटे इंतजार के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री से मुलाकात की थी।
कैसे रूस भी जा रहा चीन के खेमे में, क्या तैयारी
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, ‘इस मीटिंग में चीन फिलिस्तीन और इजरायल की जंग को रुकवाने पर बात करेगा। यह चर्चा होगी कि कैसे जंग में नागरिकों को मरने से बचाया जाए। मोटे तौर पर हम फिलिस्तीन के संकट पर बात करेंगे।’ वहीं रूस भी चीनी खेमे में ही जाता दिख रहा है। रूस को भी लगता है कि वह ईरान और मुस्लिम वर्ल्ड का इस मसले पर समर्थन करके साथ पा सकता है। इससे उसे यूक्रेन की जंग में खुद को मजबूत करने में सफलता मिलेगी।