बढ़ रहा है भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार

भारतीय अर्थव्यवस्था आज लगभग 7 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से विकास की राह पर आगे बढ़ रही है। अर्थव्यवस्था के आकार में विस्तार से उस देश के नागरिकों की आय में वृद्धि दर्ज होती है इससे गरीब वर्ग के हाथों में भी पैसा पहुंचता है इससे, विभिन्न उत्पादों की मांग बढ़ती है एवं रोजगार के नए अवसर निर्मित होते हैं और अंततः गरीब वर्ग की संख्या में कमी होकर देश में मध्यम वर्ग की संख्या बढ़ती है। नीति आयोग के एक प्रतिवेदन के अनुसार वर्ष 2015-16 में भारत के शहरी क्षेत्रों में गरीब वर्ग की संख्या 24.85 प्रतिशत थी जो वर्ष 2020-21 में घटकर 14.90 प्रतिशत रह गई है। इसमें 9.95 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इसी प्रकार वर्ष 2015-16 में भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ग़रीब वर्ग की संख्या 32.59 प्रतिशत थी जो वर्ष 2020-21 में घटकर 19.28 प्रतिशत रह गई है। अतः भारत में गरीब वर्ग की संख्या कम हुई है। इसी कारण से वैश्विक रेटिंग संस्थान भारत की रेटिंग को बढ़ाते जा रहे हैं।स्टैंडर्ड एंड पुअर रेटिंग संस्थान ने भारत की विकास दर को वर्ष 2023-24 के लिए 6 प्रतिशत रखा है तो वर्ष 2024-25 के लिए 6.9 प्रतिशत की बात की है। साथ ही इसी संस्थान का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार वर्ष 2030 तक 7 लाख 30 हजार करोड़ अमेरिकी डॉलर का हो जाने वाला है। वर्ष 2023 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था 26 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के साथ प्रथम स्थान पर है। दूसरे नम्बर पर चीन आता है जिसकी अर्थव्यवस्था का आकार 18 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है। तीसरे स्थान पर जापान है जिसकी अर्थव्यवस्था का आकार 4 लाख 20 हजार करोड़ अमेरिकी डॉलर है। चौथे स्थान पर जर्मनी है जिसकी अर्थव्यवस्था का आकार भी लगभग 4 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है। इस प्रकार भारत अपनी बढ़ी हुई लगभग 7 प्रतिशत प्रतिवर्ष की विकास दर के साथ शीघ्र ही जापान एवं जर्मनी को पछाड़ कर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है।मेक इन इंडिया योजना के अंतर्गत भी बहुत काम होता दिखाई दे रहा है और भारत में निर्मित वस्तुओं का निर्यात लगतार बढ़ रहा है। वर्ष 2022-23 में भारत ने 36 लाख करोड़ रुपए का निर्यात किया है। जबकि वर्ष 2014 में 19.05 लाख करोड़ रुपए का निर्यात हुआ था। यह लगभग दोगुना हो गया है। आज भारत अपने घर में उत्पादित वस्तुओं के उपयोग को भी लगातार बढ़ा रहा है। “वोकल फोर लोकल” का नारा अब बुलंद हो रहा है एवं भारतीय नागरिक अब चीन में निर्मित उत्पादों का उपयोग कम करते हुए भारत में ही निर्मित वस्तुओं का उपयोग कर रहे हैं। सकल घरेलू उत्पाद जब बढ़ता है तो लोगों की आय भी बढ़ती है। जब लोगों की आय बढ़ती है तो लोग बाजार में सामान खरीदते हैं। इससे बाजार में उत्पादों की मांग बढ़ती है। उत्पादों की मांग एवं आपूर्ति से उत्पादों की बाजार कीमतें तय होती है। जब किसी भी उत्पाद की मांग तुलनात्मक रूप से अधिक तेजी से बढ़ती है भारत में मिडल क्लास अर्थात मध्यम वर्ग की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वैश्विक स्तर पर मिडल क्लास की बढ़ रही संख्या में भारत का योगदान 24 प्रतिशत का है। विश्व के कई वित्तीय संस्थानों का मत है कि वर्ष 2027 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।

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