इमरान खान को मौत की सजा का करना होगा सामना? सिफर केस में कोर्ट ने तय किए आरोप

पाकिस्तान की विशेष अदालत में सिफर मामले और गोपनीयता कानून के उल्लंघन को लेकर सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पर आरोप तय किए।

इमरान खान को अब मौत की सजा का भी सामना करना पड़ सकता है। ऐसा हुआ तो वह अगले साल जनवरी में होने वाला संसदीय चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। खान और उनके करीबी सहयोगी शाह महमूद कुरेशी पर इस सप्ताह मुकदमा चलेगा। इमरान खान के वकील उमैर नियाजी के अनुसार, इस आरोप में आजीवन कारावास से लेकर मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान है।

विशेष अदालत के जस्टिस अबुल हसनत जुल्करनैन ने रावलपिंडी की अडियाला जेल में मामले की सुनवाई की। आरोप तय किए जाने के बाद विशेष अदालत ने कार्यवाही 27 अक्टूबर तक के लिए टाल दी, जब वह औपचारिक रूप से मामले की सुनवाई शुरू करेगी। संघीय जांच एजेंसी के विशेष अभियोजक शाह खावर ने कहा, ‘आज की सुनवाई में सिर्फ आरोप तय किए जाने थे, इसलिए आदेश खुली अदालत में पढ़ा गया।’ इमरान को पिछले साल मार्च में वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास की ओर से भेजे गए गुप्त राजनयिक केबल (सिफर) को लीक करने का आरोप है। साथ ही आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम का उल्लंघन करने को लेकर मामला दर्ज होने के बाद बीते अगस्त में उन्हें गिरफ्तार किया गया था।

‘निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में देंगे चुनौती’
इमरान के वकील उमैर नियाजी ने कहा कि उनके मुवक्किल ने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने बताया कि निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान ने उक्त दस्तावेज का इस्तेमाल यह बताने के लिए किया था कि उनकी सरकार एक विदेशी साजिश के चलते गिरा दी गई थी। नियाजी ने पीटीआई प्रमुख के हवाले से कहा कि उनके खिलाफ साजिश रची गई, उनकी सरकार गिरा दी गई और जिस बैठक पर सवाल उठाए जा रहे हैं, उसका कोई ब्योरा उपलब्ध नहीं है। नियाजी ने कहा कि इमरान को ‘लंदन प्लान’ के बारे में पहले से ही पता है, जिसका मकसद पीटीआई को खत्म करना है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘नवाज शरीफ अंपायर के साथ मिलकर खेलते हैं। वह तब तक चुनाव नहीं लड़ सकते, जब तक उन्हें अपनी पसंद का अंपायर न मिल जाए।’

जमानत मिलने के बावजूद सिफर केस को लेकर जेल में बंद
नियाजी के मुताबिक, इमरान का यह भी कहना है कि अगर किसी बड़े चोर को आजाद करना है, तो अडियाला जेल में बंद आरोपी को भी रिहा किया जाना चाहिए।’ एफआईए ने इमरान और कुरैशी के खिलाफ 30 सितंबर को आरोप पत्र पेश किया था। दोनों नेताओं ने इसकी प्रतियों पर दस्तखत किए थे। अदालत पहले 17 अक्टूबर को इमरान पर आरोप तय करने वाली थी, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री के वकीलों की इस आपत्ति के बाद प्रक्रिया में देरी हुई कि उन्हें आरोपपत्र की प्रतियां उपलब्ध नहीं कराई गई हैं। इमरान 5 अगस्त को तोशाखाना मामले में लाहौर से गिरफ्तार किए जाने और 29 अगस्त को जमानत मिलने के बावजूद सिफर मामले की वजह से जेल में बंद हैं। पिछले साल अप्रैल में अपदस्थ होने के बाद उनके खिलाफ 150 से ज्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं।

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