राज्यसभा चुनाव में मंगलवार को पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने वाले कांग्रेस के छह विधायकों की विधायकी पर खतरा मंडरा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष ने 6 बागी विधायकों पर दल बदल कानून के तहत फैसला सुरक्षित रख लिया है।स्पीकर ने सरकार और बागी विधायकों के वकीलों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। बागी विधायक कारण बताओ नोटिस के जवाब में बुधवार को अपने वकील के साथ विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष दलीलें रखी। इन विधायकों के खिलाफ दल बदल कानून के तहत कार्रवाई की मांग रखी गई थी।
मोहलत दिए जाने की मांग
विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष बागियों का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सत्यपाल जैन ने दलील दी कि संबंधित दस्तावेज उन्हें मुहैया नहीं कराए गए हैं। उनके मुवक्किलों को केवल नोटिस और मंगलवार शाम को दाखिल याचिका की प्रति दी गई है जबकि अन्य संलग्नक नहीं मुहैया कराए गए हैं। मौजूदा नियमों के तहत विधायकों को दिए गए नोटिस का जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन की मोहलत दी जानी चाहिए।
दल-बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की शर्तें गिनाईं
सत्यपाल जैन ने यह भी कहा कि दल-बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई किए जाने के लिए पांच से छह शर्तें हैं। इन शर्तों का पालन किया जाना चाहिए। इनमें प्रतिवादी विधायकों को सात दिन की मोहलत दिए जाने का भी प्रावधान है। याचिका की प्रति उपलब्ध कराए जाने के बाद जवाब दाखिल किए जाने के लिए मोहलत तो दी जानी चाहिए।
राज्यसभा चुनावों में मतदान पर लागू नहीं होता कानून
सत्यपाल जैन ने यह भी तर्क दिया कि दल-बदल विरोधी कानून राज्यसभा चुनावों में मतदान किए जाने के मामले में लागू नहीं होता है। जैन ने अपनी दलील में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च अदालत ने बार-बार अपने फैसलों में स्पष्ट किया है कि मतदान में उक्त कानून नहीं लागू होता है। हम जवाब दाखिल करने के लिए नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के तहत एक हफ्ते की मोहलत चाहते हैं। आखिरकार दलीलें पूरी होने के बाद स्पीकर ने फैसला सुरक्षित रख लिया।