गोवर्धन पूजा कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को की जाती है। इसमें भगवान कृष्ण गाय और बैलों का पूजन करते हैं। भगवान श्रीकृष्ण के निर्मित दीपक जलाकर अन्नकूट का प्रसाद अर्पित करते हैं। शाम को राजा बली और भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है।
ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल व पं. आनंद दुबे ने बताया कि इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 13 नवंबर दिन सोमवार को दोपहर 2:56 मिनट से शुरू होकर समापन मंगलवार को दोपहर 2:36 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर गोवर्धन पूजा 14 नवंबर मंगलवार को होगी
भाईदूज व चित्रगुप्त पूजन 15 नवंबर को
- भाईदूज का पर्व कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि इस साल भाईदूज का त्योहार 15 नवंबर को मनाया जाएगा। इसी पर्व के साथ पंच दिवसीय दीपोत्सव का समापन भी हो जाता है। यह त्योहार भाई बहन के लिए बेहद खास होता है। इस दिन यमुना में डुबकी लगाकर स्नान करने का बड़ा ही महत्व है। भाईदूज यम द्वितीया को यमुना नदी या यमुना का स्मरण कर स्नान करना चाहिए। कायस्थ समाज के लोग यमद्वितीया के दिन अपने कुल प्रमुख भगवान चित्रगुप्त का पूजन करते हैं। भाई दूज का टीका शुभ मुहूर्त दिन में 12:56 से 3:06 बजे तक है।
गोवर्धन पूजा की विधि-
– सबसे पहले घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाएं।
– इसके बाद रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल और दीपक जलाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करें।
– कहा जाता है कि इस दिन विधि विधान से सच्चे दिल से गोवर्धन भगवान की पूजा करने से सालभर भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है।
– भगवान श्री कृष्ण का अधिक से अधिक ध्यान करें।
– इस दिन भगवान को 56 या 108 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाने की परंपरा भी है।
– भगवान श्री कृष्ण की आरती करें।