गाजा पर जारी इजरायली हमलों के बीच आतंकी संगठन हमास के सबसे करीबी दोस्त ईरान ने भारत से मदद की गुहार लगाई है। ईरान ने कहा है कि भारत अपनी सभी क्षमताओं का इस्तेमाल करते हुए युद्ध रोकने में मदद करे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक फोन कॉल के दौरान, ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने भारत से गाजा में चल रहे संघर्ष के बीच इजरायली कार्रवाई को समाप्त करने के लिए “अपनी सभी क्षमताओं” का इस्तेमाल करने का आग्रह किया।
ईरानी सरकार के आधिकारिक बयान के अनुसार, राष्ट्रपति रायसी ने कहा, “आज, भारत से अपेक्षा की जाती है कि वह गाजा के उत्पीड़ित लोगों के खिलाफ जायोनी अपराधों को समाप्त करने के लिए अपनी सभी क्षमताओं का इस्तेमाल करेगा।” राष्ट्रपति रायसी और पीएम मोदी के बीच सोमवार को हुई बातचीत में हमास शासित गाजा की स्थिति पर चर्चा हुई। 7 अक्टूबर के हमलों के जवाब में इजरायल ने गाजा पर अपने सैन्य अभियान को तेज कर दिया है जिसके कारण 10,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की जान चली गई है।
दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत के ईरान सरकार की ओर से जारी बयान (रीडआउट) के अनुसार, रायसी ने पश्चिमी देशों की गुलामी के खिलाफ भारत के संघर्ष का जिक्र किया। उन्होंने दुनिया में गुटनिरपेक्ष आंदोलन के संस्थापकों में से एक के रूप में भारत की स्थिति को भी याद किया। ईरानी राष्ट्रपति ने आगे कहा कि उनका देश तत्काल युद्धविराम, नाकाबंदी हटाने और गाजा के उत्पीड़ित लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए किसी भी वैश्विक संयुक्त प्रयास का समर्थन करता है।
उन्होंने कहा, “फिलिस्तीनी लोगों की हत्या जारी रहने से दुनिया के सभी स्वतंत्र राष्ट्र क्रोधित हो गए हैं और इस हत्या के अतिरिक्त-क्षेत्रीय परिणाम होंगे।” उन्होंने आगे कहा कि उत्पीड़ित और निर्दोष महिलाओं और बच्चों की हत्या, अस्पतालों, स्कूलों, मस्जिदों, चर्चों और आवासीय क्षेत्रों पर हमले किसी भी इंसानियत के दृष्टिकोण से “निंदनीय और अस्वीकार्य” हैं।
ईरानी रीडआउट में रायसी के हवाले से कहा गया है, “फिलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों को जायोनी शासन के कब्जे का विरोध करने का वैध अधिकार है और सभी देशों को उत्पीड़न से मुक्ति के लिए फिलिस्तीनी लोगों के संघर्ष का समर्थन करना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा, “ऐसा कैसे हुआ कि नाजी जर्मनी के खिलाफ यूरोपीय देशों का संघर्ष एक सराहनीय और वीरतापूर्ण कार्य है, लेकिन बच्चों की हत्या और आपराधिक जायोनी शासन के खिलाफ फिलिस्तीनी लोगों के प्रतिरोध की निंदा की जाती है?”
इसके अलावा, बातचीत के दौकान रायसी ने भारत के साथ संबंधों के बारे में तेहरान के दृष्टिकोण को ‘रणनीतिक’ बताया। उन्होंने इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। उत्तर-दक्षिण गलियारे के महत्व और क्षेत्र के सभी देशों के लिए इसके लाभों पर जोर देते हुए, राष्ट्रपति रायसी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत से चाबहार बंदरगाह सहित स्थायी आर्थिक सहयोग को मजबूत करने के लिए “गंभीर निवेश” करने की उम्मीद है।
वहीं प्रधानमंत्री मोदी और ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी ने सोमवार को पश्चिम एशिया क्षेत्र में ‘‘मुश्किल हालात’’ और इजराइल-हमास संघर्ष पर विचारों का आदान-प्रदान किया। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में यह जानकारी दी। बयान के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने ‘‘आतंकवादी घटनाओं, हिंसा और आम नागरिकों की मौत’’ पर गहरी चिंता व्यक्त की। रईसी के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत में मोदी ने इजराइल-फलस्तीन मुद्दे पर भारत के पुराने और सुसंगत रुख को दोहराया।
मोदी और रईसी ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में सुधार के लिए ईरान में चाबहार बंदरगाह को प्राथमिकता देने का स्वागत किया। बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता में साझा हित को देखते हुए संपर्क में बने रहने पर सहमत हुए। रईसी के साथ मोदी की बातचीत इजराइल-हमास संघर्ष में वृद्धि के मद्देनजर क्षेत्र के शीर्ष नेताओं के साथ चल रही उनकी बातचीत का हिस्सा है।