इजरायल और गाजा पट्टी के बीच विवाद एक बार फिर गहरा गया है। गाजा पट्टी में सत्तारूढ़ हमास ने इजरायल पर हमला करते हुए भारी संख्या में रॉकेट दागे। साथ ही कई हमास लड़ाकों ने इजरायल सीमा में घुसपैठ को अंजाम दिया।घुसपैठ के छह घंटे बीत जाने के बाद भी हमास चरमपंथियों और इजराइली इलाकों में उनकी सेना से मुठभेड़ जारी है। हमास की तरफ से इजरायल की सीमा में करीब 5000 रॉकेट दागे गए हैं। हमले में कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। दो साल पहले भी हमास की तरफ से विद्रोही तेवर दिखाए गए थे। आखिर ऐसी क्या वजह है कि बार-बार इजरायल और हमास के कब्जे वाली गाजा पट्टी से हमले किए जाते हैं।
कब से शुरू है इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जंग
जब से इजरायल अस्तित्व में आया है तभी से यह अरब लोगों की नजरों में चुभा हुआ है। बात साल 1948 की है, जब यहूदियों का नया-नया देश इजरायल, फिलिस्तीन के हिस्से में बनाया गया। यूएनओ ने बेलफोर डिक्लेरेशन के तहत यहूदियों के लिए अलग देश बनाए जाने की प्रस्ताव रखा, जिसे स्वीकार कर लिया गया। जहां 48 प्रतिशत भू-भाग फिलिस्तीन को दिया गया और 44 प्रतिशत भाग नए बने इजरायल के हिस्से में आया। जबकि 8 प्रतिशत यरुशलम का हिस्सा यूएनओ ने अपने कंट्रोल में रखा। यहूदियों के लिए अलग देश बनाए जाने से आस-पास के अरब देश और तब का फिलिस्तीन भी काफी गुस्से में था। इजरायल का अस्तित्व मिटाने के लिए तब छह अरब देशों ने मिलकर इजरायल पर हमला कर दिया। इस युद्ध को प्रथम इजरायल अरब युद्ध कहा जाता है। इस युद्ध में इजरायल ने अरब देशों को धूल चटा दी।
फिलिस्तीनी बन गए थे रिफ्यूजी
प्रथम इजरायल-अरब युद्ध 1948 में यहूदियों ने बहादुरी से लड़ा और बहुत ही हैरानी की बात है कि छह अरब देशों को नए बने इजरायल ने धूल चटा दी। साल 1949 में जब जब युद्ध खत्म होता है तो यूएनओ पार्टीशन प्लान के तहत जो भू-भाग फिलिस्तीन के हो गए थे, उनमें से कई जगहों पर अब इजरायलियों ने अपना कब्जा जमा लिया था। गाजा पट्टी का भू-भाग इजिप्ट के पास चला गया और वेस्ट बैंक हिस्सा जॉर्डन के पास चला गया। इसका मतलब यह हुआ कि अब स्थानीय फिलिस्तीनियों के पास कोई अपनी जगह नहीं बची। सात लाख फिलिस्तीनी लोग अपना घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा और रिफ्यूजी बनकर अरब देशों में शरण लेनी पड़ी। इस पलायन को 1948 का फिलिस्तीनी पलायन कहा गया।
पीएलओ ने उठाई फिलिस्तीनियों की आवाज
फिलिस्तीन लोग अपना खुद का देश चाहते थे इसलिए साल 1964 में फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (पीएलओ) की स्थापना की। शुरुआत में इनका मकसद हथियार के दम पर अपना देश पाने का था। उनका मानना था कि इजरायल जैसा देश किसी तरह से अस्तित्व में न आए। उनकी इसी मंशा की वजह से अमेरिका और इजरायल ने पीएलओ को एक आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया। मगर बाद में यूनाइटेड नेशन जनरल असेंबली द्वारा यह स्वीकार कर लिया जाता है कि पीएलओ एक आतंकवादी संगठन नहीं बल्कि फिलिस्तीनियों की आजाव को उजागर करने वाली संस्था है।
यासिर अराफात और यित्जाक राबिन के बीच बढ़ी दोस्ती
आगे चलकर पीएलओ के नेता और फिलिस्तीन के तत्कालीन राष्ट्रपति यासिर अराफात और इजरायल के प्रधानमंत्री यित्जाक राबिन के बीच दोस्ती होती है और दोनों अपने अपने देशों के मुद्दे सुलझाने के लिए सामने आते है। यित्जाक राबिन का यासिर अराफात से हाथ मिलाने से इजरायल के कट्टरपंथी काफी नाराज हो जाते हैं और उन्होंने यित्जाक राबिन की हत्या कर दी।
क्या है हमास और इजरायल का पंगा?
उसी दौरान 80-90 के दशक में फिलिस्तीन में इस्लामिक कट्टरवादी लोग सामने आते हैं और हमास ग्रुप बनाते हैं। हमास ग्रुप का कहना था कि पीएलओ वाले लोग ज्यादा ही सेक्युलर बन रहे और इजरायल के साथ बेहद शराफत से पेश आ रहे हैं। पहले के फिलिस्तीनियों की तरह हमास ग्रुप इजरायल को नक्शे से ही मिटाना चाहता था। 90 के दशक में हमास ग्रुप इजरायल में आत्मघाती हमले भी करता है। इस तरह से इजरायल और गाजा पट्टी में रह रहे हमास ग्रुप के बीच कट्टरता बढ़ जाती है। दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं। दोनों के बीच तकरार चार दशक से चल रही है, इसी क्रम में हमास की तरफ से इजरायल पर हालिया हमला किया गया है।