समाजवादी पार्टी में मुरादाबाद के टिकट को लेकर दो दिन चले घमासान के बाद स्थिति अब साफ हो चुकी है। गुरुवार को डॉ. एसटी हसन का पर्चा भी खारिज हो गया है। दो-दो बार टिकट मिलने और फिर कटने से न केवल अखिलेश यादव बल्कि आजम खां और एसटी हसन के रिश्तों में आई खटास भी दुनिया के सामने आ गई है।खुद एसटी हसन पार्टी में हुई इस बेकद्री को पचा नहीं पा रहे हैं। उन्होंने गुरुवार को माना कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में आजम खां ने ही उन्हें मुरादाबाद से टिकट दिलाया था लेकिन इस बार उन्होंने ही सारा जोर लगाकर मेरा टिकट कटवा दिया। अब उनसे मेरा हिसाब बराबर हो गया है।
गुरुवार को पर्चा खारिज होने के बाद बातचीत में डा. एसटी हसन का दर्द साफ झलका। कहा कि आजम खां सपा के फाउंडर मेंबर हैं। देश जानता है कि उन्हें गलत फंसाया गया है। वह बकरी या फिर भैंस चोरी नहीं कर सकते। वह एक सुलझे हुए नेता हैं। पिछले चुनाव में उन्होंने ही मुझे टिकट दिलवाया था। मैं उनका एहसानमंद हूं लेकिन अब उनके कारण ही मिला हुआ टिकट कट गया। अब मेरा-उनका हिसाब बराबर हो गया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश ने हमेशा उन पर भरोसा किया और वह उसे तोड़ना नहीं चाहते। वह मुरादाबाद में चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। इसके अलावा जहां भी पार्टी को जरूरत होगी, मैं साथ रहूंगा।
डॉ. एसटी हसन ने पार्टी के प्रदेश कार्यालय की गोपनीयता पर भी सवाल खड़े किए। कहा कि वहां से पत्र लीक कर दिए जाते हैं। हिन्दुस्तान के एक बड़े धार्मिक नेता ने अपनी मर्जी से मेरे टिकट के लिए अखिलेश यादव को सिफारिशी खत लिखा था, लेकिन ये खत भी वायरल हो गया, तब मुझे इसकी जानकारी हुई। उनकी सिफारिश को कभी अखिलेश यादव आसानी से नहीं टालते थे लेकिन इस बार उनकी सिफारिश को भी दरकिनार करके दूसरे को टिकट देना पड़ा। इस पूरे घटनाक्रम से सपा की साख गिरी है। यह सबको समझ लेना चाहिए कि जनता बीजेपी के खिलाफ है। मैं सदैव मुसलमानों के हक की बात करता रहा हूं और आगे भी करता रहूंगा। हिंदू भाई भी मुझसे प्यार करते हैं। नाजायज बात कभी कबूल नहीं करूंगा।