इस्राइल और ईरान के बीच तनातनी की स्थिति का शेयर बाजार को खासा नुकसान उठाना पड़ा है। पश्चिमी एशिया में तनावपूर्ण स्थिति के कारण भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को बड़ी गिरावट दिखी। लगातार दूसरे दिन बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी लाल निशान पर बंद हुए। इस्राइल और ईरान के बीच तनातनी की स्थिति का शेयर बाजार को खासा नुकसान उठाना पड़ा है। पश्चिमी एशिया में तनावपूर्ण स्थिति के कारण भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को बड़ी गिरावट दिखी। लगातार दूसरे दिन बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी लाल निशान पर बंद हुए। ईरान-इजरायल के बीच बढ़ते तनाव पर भारत ने एक टक नजर बना रखी है। भारत कतई नहीं चाहेगा कि ये दोनों देश आपस में यूक्रेन-रूस जैसे किसी बड़े और लंबे संघर्ष में फंसे जाएं। इसकी कई वजहें हैं। यही कारण है इजरायल पर ईरान के हमला करते ही सरकार हरकत में आ गई। उसने दोनों पक्षों से शांति बनाने की अपील की है।भारत कतई नहीं चाहता कि दोनों देश आपस में रूस-यूक्रेन जैसे किसी लंबे संघर्ष में फंस जाएं। इन दोनों ही मुल्कों से भारत के अच्छे रिश्ते हैं। दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने पर भारत पर इसका सीधा असर होगा। यही कारण है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दोनों पक्षों से तुरंत बातचीत की। उन्होंने दोनों से ही डिप्लोमेसी का रास्ता अपनाने की अपील की है। दरअसल, इन दोनों के बीच बढ़ते तनाव से भारत को 3 चीजों की चिंता है। भारत के सामने सबसे पहला फैक्टर उसके लोग हैं। इजरायल में लगभग 18,000 भारतीय और ईरान में लगभग 5,000-10,000 भारतीय रहते हैं। करीब 90 लाख लोग खाड़ी और पश्चिम एशिया क्षेत्र में रह रहे हैं। ये वहां काम करते हैं। संघर्ष फैलता है तो वह इस क्षेत्र में रहने वाले भारतीय समुदाय के लिए खतरा पैदा कर देगा। दूसरी सबसे बड़ी बात भारत के आर्थिक हित ऊर्जा सुरक्षा से जुड़े हैं। पश्चिम एशिया क्षेत्र भारत की 80 फीसदी तेल आपूर्ति में योगदान देता है। इस पर संभावित संघर्ष प्रभाव डालेगा। भारत रियायती कीमतों पर रूसी तेल खरीदकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण तेल की कीमतों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने में सक्षम है, लेकिन इस संघर्ष का ऊर्जा कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।तीसरा भारत ने प्रमुख अरब देशों, ईरान और इजरायल के साथ रणनीतिक संबंधों में काफी निवेश किया है। भारत इस पूरे क्षेत्र को अपने विस्तारित पड़ोस के तौर पर देखता है। यह भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे को आगे बढ़ाने के लिए सभी पक्षों के साथ काम कर रहा है। इससे भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक फायदे भी हैं। कोई एक संघर्ष इस पूरी कवायद पर पानी फेर सकता है। यह आम राय को खत्म कर सकता है। इसलिए भारत का रुख स्पष्ट है। वह तनाव कम करने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेगा। यह उसके राष्ट्रीय हित के लिए महत्वपूर्ण है।