इस बार दिल्ली का रास्ता तय करने वाले उत्तर प्रदेश में किसी की लहर नहीं बल्कि हर सीट पर पार्टी और उम्मीदवार को लड़ाई लड़कर ही जीतनी होगी। इसके पीछे इंडिया गठबंधन का गठजोड़ माना जा रहा है। यही वजह है कि बीजेपी भी हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। वहीं सपा-कांग्रेस भी अपनी जीत पर पूरी तरह आश्वस्त है। हालांकि अमेठी, रायबरेली, बदायूं, घोषी, आजमगढ़, रामपुर समेत कई सीटों पर मुकाबला 20-20 मैच जैसे रोमाचंक होने वाला है। मैच की आखिरी गेंद तक जीत-हार का आंकलन कर पाना किसी भी राजनीतिक पंडित के लिए आसान नहीं होगा।दरअसल दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है। यूपी की 80 की 80 सीट जीतने का लक्ष्य बीजेपी ने रखा है। हालांकि इंडिया गठबंधन के बाद यूपी में क्लीन स्वीप कर पाना इतना आसान नहीं होगा। इस बार बीजेपी को अपनी जीती हुई सीट बचाने में भी मुश्किल होगी। वहीं 2019 में हारी सीटें जीतना एक बड़ी चुनौती रहने वाली है। हालांकि बीजेपी भी अपने काम और मोदी-योगी के नाम पर पूरी दमखम से जुटी हुई है।बात अगर यूपी की सबसे हॉट सीट या कांटे की टक्कर वाली सीट की करें तो पहला नाम अमेठी सीट हो सकती है। अमेठी लोकसभा सीट पर उसी स्थिति में मुकाबला कांटे का होने की संभावना है, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़े।चर्चा है कि सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा अमेठी से चुनाव लड़ सकते हैं। रायबरेली सीट कांग्रेस का अभेद्य किला रहा है। मोदी लहर के बावजूद बीजेपी 2014 और 2019 के चुनाव में कांग्रेस के इस किले को भेद नहीं पाई थी। इस बार सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ रही है। कांग्रेस से चुनाव कौन लड़ेंगा, अभी संशय बना हुआ है। अगर गांधी परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव लड़ता है तो ये सीट कांग्रेस आसानी से जीत सकती है। सपा का गढ़ मानी जाने वाली मैनपुरी सीट पर अगर बीजेपी नेताजी मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को टिकट देती है तो उस स्थिति में चुनाव कांटे का होने की संभावना है। वरना इस सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजों से साफ-साफ संकेत है कि इस बार भी नतीजे सपा के पक्ष में आएंगे। डिंपल यादव आसानी से चुनाव जीत जाएंगी। अपर्णा चुनाव लड़ी तो लड़ाई बेहद रोमाचंक होगी, बदायूं सीट पर भी इस बार कड़ा मुकाबला होने के आसार है। सपा ने कद्दावर नेता शिवपाल यादव को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी ने मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य का टिकट काट दिया है। इस बार बीजेपी के दुर्विजय शाक्य की टक्कर शिवपाल यादव से होगी। मेरठ और मुरादाबाद सीट पर सपा के उम्मीदवार बदलने के कारण दोनों सीट पर कांटे की टक्कर होने की संभावना है। सपा के कद्दावर नेता आजम खान के प्रभाव वाली रामपुर सीट पर भी इस बार मुकाबला एकतरफा नहीं होने वाला है। उपचुनाव में बीजेपी ने कब्जा जमा लिया है। उधर आजम की नाराजगी सपा को भारी पड़ सकती है, क्योंकि सपा ने इस बार जिसको टिकट दिया है, उसको आजम की नहीं बल्कि अखिलेश की मर्जी से टिकट मिला है।