अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA का अंतरिक्ष यान OSIRIS-REx लगभग 7 साल की अंतरिक्ष यात्रा के बाद हाल ही में पृथ्वी पर लौटा है। यह अंतरिक्ष यान अपने साथ बेन्नू नामक क्षुद्रग्रह का नमूना लेकर आया है।अमेरिका के ह्यूस्टन में नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर के एक विशेष कमरे में बेन्नू क्षुद्रग्रह के नमूनों की जांच कर रहे वैज्ञानिकों को महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। नासा ने खुलासा किया है कि 4.5 अरब साल पुराने बेन्नू क्षुद्रग्रह के नमूनों में प्रचुर मात्रा में पानी और कार्बन है, जो हमारे ग्रह के निर्माण में शामिल एक प्रमुख सामग्री है।यह खोज इस सिद्धांत का प्रमाण प्रदान करती है कि पृथ्वी पर जीवन की नींव बाहरी अंतरिक्ष से रखी गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने कहा कि क्षुद्रग्रह के पहले विश्लेषण से पता चला है कि नमूने में प्रचुर मात्रा में पानी है। उन्होंने कहा कि यह पृथ्वी पर लौटा अब तक का सबसे बड़ा कार्बन युक्त क्षुद्रग्रह नमूना है। इसमें खनिज और कार्बनिक अणु दोनों के रूप में कार्बन होता है।
OSIRIS-REx मिशन ने 2020 में बेन्नू क्षुद्रग्रह से चट्टान और धूल के नमूने लिए थे। अंतरिक्ष यान एक कैप्सूल में नमूने लेकर दो सप्ताह पहले ही पृथ्वी पर लौटा था। ह्यूस्टन में नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में उनका विश्लेषण किया जा रहा है। खास बात यह है कि OSIRIS-REx मिशन से पहले जापान साल 2010 और 2020 में भी अंतरिक्ष से क्षुद्रग्रह के नमूने लाया था। हालांकि, जापानी मिशन केवल 5.4 ग्राम नमूना लाया था, जबकि NASA मिशन ने 250 ग्राम नमूना एकत्र किया था।
बेन्नू क्षुद्रग्रह को क्यों चुना?
यह क्षुद्रग्रह हर 1.2 साल में सूर्य की परिक्रमा करता है और लगभग हर 6 साल में पृथ्वी के सबसे करीब आता है। यह क्षुद्रग्रह आकार में 1614 फीट बड़ा है। नासा के मुताबिक साल 2135 में जब यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी के करीब आएगा तो इसके प्रक्षेप पथ में थोड़ा बदलाव होगा। यह संभावित रूप से वर्ष 2175 और 2199 के बीच पृथ्वी को प्रभावित कर सकता है। नासा का मानना है कि इसी तरह के क्षुद्रग्रह अरबों साल पहले पृथ्वी से टकराए थे और पानी के साथ-साथ कई अन्य चीजें भी हमारे ग्रह पर लाए थे।