यूपी-दिल्ली के बाद अब बंगाल में भी बन गई बात? कांग्रेस को 5 सीटें देने को तैयार ममता बनर्जी

लोकसभा चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बीच पश्चिम बंगाल में गठबंधन हो सकता है। पिछले कुछ दिनों में टीएमसी और कांग्रेस गठबंधन को लेकर तमाम तरह की जानकारियां सामने आईं।कभी कहा गया कि गठबंधन नहीं होगा तो अब सूत्रों के हवाले से पता चला है कि टीएमसी कांग्रेस को पांच सीटें देने के लिए तैयार हो गई है। एबीपी न्यूज ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी कांग्रेस के लिए पांच सीटें छोड़ने जा रही है और बाकी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। इससे पहले, कांग्रेस ने यूपी, दिल्ली, गुजरात समेत कई राज्यों में गठबंधन का ऐलान किया है।ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस लोकसभा चुनाव के लिए बने राष्ट्रीय स्तर के विपक्षी गठबंधन इंडिया का हिस्सा है। इंडिया अलायंस की विभिन्न बैठकों में भी ममता बनर्जी शामिल होती रही हैं। अब जिन सीटों को ममता कांग्रेस को देने के लिए तैयार हुई हैं, वे रायगंज, बहरामपुर, पुरुलिया, दक्षिण माल्दा, दार्जिलिंग है। वहीं, दूसरी ओर मेघालय की तूरा सीट टीएमसी के हिस्से में आ सकती है। इसके अलावा, असम में भी एक सीट कांग्रेस टीएमसी को देगी।

टीएमसी से चल रही बातचीत के बीच बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने शनिवार को दावा किया था कि सीट बंटवारे के लिए उन्होंने सीपीएम से भी बातचीत शुरू की है। अधीर रंजन चौधरी के अनुसार, ”मैं सीपीएम राज्य सचिव मोहम्मद सलीम के साथ बातचीत कर रहा हूं। हम राज्य में सीपीएम के साथ गठबंधन करना चाहते हैं।” इसके अलावा, अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वे (टीएमसी) दुविधा में हैं। पार्टी सुप्रीमो (ममता बनर्जी) की ओर से आधिकारिक तौर पर हां या ना होनी चाहिए। वे आधिकारिक तौर पर यह नहीं कह रही हैं कि गठबंधन बनाने की प्रक्रिया समाप्त हो गई है, क्योंकि वे दुविधा में हैं।” उन्होंने पार्टियों के बीच चल रही बातचीत का संकेत देते हुए आगे कहा कि टीएमसी अपनी दुविधा के कारण गठबंधन पर निर्णय नहीं ले पा रही है।

कांग्रेस सांसद चौधरी ने कहा, “पहली दुविधा यह है कि पार्टी का एक वर्ग मानता है कि यदि वे इंडिया गठबंधन के बिना अकेले चुनाव लड़ती हैं, तो पश्चिम बंगाल के अल्पसंख्यक उनके खिलाफ मतदान करेंगे। टीएमसी का एक वर्ग चाहता है कि गठबंधन जारी रहे। दूसरा वर्ग दूसरी दुविधा में है कि अगर बंगाल में गठबंधन को ज्यादा महत्व दिया गया तो मोदी सरकार उनके खिलाफ ईडी और सीबीआई का इस्तेमाल करेगी। इन दोनों दुविधाओं के कारण टीएमसी कोई स्पष्ट निर्णय नहीं ले पाई है। हो सकता है कि दिल्ली में कुछ बातचीत हो, लेकिन मेरे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है।

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