कांग्रेस का सपा वाला कंधा कैसे हुआ कमजोर, जिस पर चढ़ जीतती थी रायबरेली

रायबरेली लोकसभा सीट जीतना भाजपा की एक ख्वाहिश रही है। 2014 और 2019 के आम चुनाव में जब भाजपा का ज्वार देखने का मिला, तब भी वह रायबरेली सीट पर जीत नहीं सकी। पार्टी ने 2019 में अमेठी की सीट पर भले जीत हासिल कर ली, लेकिन रायबरेली से सोनिया गांधी ही सांसद बनी रहीं।लेकिन अब वह समीकरण बदलने के लिए पूरा जोर लगा रही है। सोनिया गांधी ने इस बार रायबरेली सीट से न लड़ने का फैसला लिया है और उनके स्थान पर किसे मौका मिलेगा, यह तय नहीं है। इस बीच भाजपा ने अपने पत्ते चलने शुरू कर दिए हैं और मनोज पांडेय का राज्यसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन करना उसका ही हिस्सा है।मनोज पांडेय तीन बार से रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक हैं। वह ब्राह्मण समुदाय से आते हैं और सपा के टिकट पर जीतते रहे हैं। रायबरेली में सपा कभी कैंडिडेट नहीं खड़ा करती थी और सोनिया गांधी की बड़ी जीत में यह भी एक फैक्टर होता था। ऐसे में भाजपा ने मनोज पांडेय को पाले में लाकर कुछ हद तक सपा के वोटों पर भी पकड़ बनाने की कोशिश की है। इसके अलावा लोकसभा क्षेत्र में मजबूत ब्राह्मण बिरादरी का भी पूरा समर्थन पाने की कोशिश होगी। चर्चा है कि मनोज पांडेय को ही रायबरेली से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। उन्हें मौका देकर भाजपा स्थानीय नेता को ही प्रमोट करने का संदेश देगी।यही नहीं भाजपा में भी मनोज पांडेय की ही उम्मीदवारी के लिए माहौल बनता दिख रहा है। 2019 के आम चुनाव में सोनिया गांधी के मुकाबले उतरे दिनेश प्रताप सिंह ने भी सोशल मीडिया पर लिखा है कि यदि मनोज पांडेय भी उतरे तो वह समर्थन करेंगे। उन्होंने लिखा, ‘यह मायने नहीं रखता कि कौन लड़ेगा। यदि मनोज पांडेय भी उतरते हैं तो मैं भाजपा को इस सीट को जिताने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा।’ दिनेश प्रताप सिंह ने भी अच्छा मुकाबला लड़ा था और सोनिया गांधी के खिलाफ हार का अंतर डेढ़ लाख वोटों का ही था। 2004 के बाद से यह पहला मौका था, जब सोनिया गांधी की जीत का अंतर इतना कम हुआ था।

रायबरेली में भाजपा के पहले ही दो विधायक, अब मनोज पांडेय भी आए

अब मनोज पांडेय के सपा छोड़ भाजपा संग आने से यह अंतर और कम हो सकता है। दरअसल रायबरेली में सपा कभी कैंडिडेट नहीं खड़ा करती थी। ऐसे में उसके हिस्से का भी बड़ा वोट कांग्रेस को ही मिलता था। अब मनोज पांडेय के आने से सपा के हिस्से का कुछ वोट भाजपा संग आ सकता है। इसी समीकरण से भाजपा को बड़ी उम्मीद है। बता दें कि भाजपा के पास पहले ही रायबरेली में दो विधायक अदिति सिंह और राकेश सिंह हैं। अब तीसरे मनोज पांडेय हो जाएंगे। इस तरह विधानसभा में धमक के बाद अब लोकसभा में भी पकड़ की तैयारी है।

अमेठी में कांग्रेस को और कमजोर करने का प्लान

मनोज पांडेय के अलावा राकेश प्रताप सिंह ने भी भाजपा कैंडिडेट को ही वोट दिया है। वह अमेठी की गौरीगंज सीट से विधायक हैं। इसके अलावा महाराजी प्रजापति वोट देने ही नहीं गईं। वह भी अमेठी की ही विधायक हैं। इस तरह रायबरेली में पहली बार जीतने की कोशिश के अलावा अमेठी सीट पर भी भाजपा ने किलेबंदी और मजबूत कर ली है।

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