एक बार फिर चांद की धरती पर उतरने की तैयारी कर रहा है

जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) भारत के साथ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक मिशन चलाएगी। यह भारत के साथ मिलकर एक रोवर का निर्माण कर रहा है। JAXA और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 2019 में इस परियोजना पर सहमत हुए।भारत चंद्रमा पर पहुंचने वाला चौथा देश है। इसके अलावा यह दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश है। भारत इस मिशन में लैंडर का निर्माण करेगा, जबकि JAXA लॉन्चिंग का काम करेगा और रोवर का निर्माण करेगा।JAXA के अनुसार, मिशन को जापान के नए H3 रॉकेट का उपयोग करके 2025 से पहले लॉन्च करने की योजना है। इस बीच एजेंसी रोवर के मूल डिजाइन चरण में है, जिसका रेत में परीक्षण किया जा रहा है। इस रेत को चंद्रमा की महीन धूल रेजोलिथ के समान डिज़ाइन किया गया है। यह परीक्षण यह निर्धारित करेगा कि रोवर चंद्रमा पर अपने प्रमुख उद्देश्यों को पूरा कर सकता है या नहीं। यह मिशन लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन (LUPEx) है।

पानी का परीक्षण करेंगे
इस रोवर को विकसित करने वाली टीम का हिस्सा रहे नात्सु फुजिओका ने कहा, ‘LUPEX प्रोजेक्ट चंद्रमा पर पानी की मात्रा और गुणवत्ता की जांच करेगा। हम भविष्य में चंद्रमा पर मानव बस्तियां स्थापित करने के लिए इस डेटा का उपयोग आधार के रूप में करने की उम्मीद करते हैं। यह रोवर स्वचालित है और अपने विज्ञान पेलोड के साथ पानी की खोज करेगा। यह नमूने एकत्र करने के लिए चंद्रमा की सतह को ड्रिल करने में भी सक्षम होगा।

अन्य एजेंसियों से पेलोड भी साथ लेंगे
ड्रिलिंग से निकाले गए नमूनों का विश्लेषण रोवर में लगे उपकरणों के जरिए किया जाएगा। अन्य एजेंसियां भी इस मिशन में विज्ञान पेलोड भेज रही हैं। नासा का न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर ध्रुव पर सतह से 3.3 फीट नीचे तक हाइड्रोजन की खोज करेगा। जबकि यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का एक्सोस्फेरिक मास स्पेक्ट्रोमीटर सतह पर गैसों के दबाव और उनके रासायनिक हस्ताक्षरों का निरीक्षण करेगा। पहले के कई विश्लेषणों से पता चला है कि चंद्रमा की सतह पर पानी मौजूद हो सकता है।

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