भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह ने अपने ऊपर लगे यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ के आरोपों को फिर से गलत और राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने सोमवार को दिल्ली की एक अदालत में कहा कि उन्होंने महिला पहलवानों की पल्स रेट चेक की थी और ऐसा करना कोई अपराध तो नहीं है।
उन्होंने कहा कि पल्स रेट चेक करने के पीछे उनकी कोई गलत मंशा नहीं थी। यही नहीं उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच के लिए एक ओवरसाइट कमेटी भी बनी थी, जिसने उन्हें गलत नहीं पाया था। वह जांच समिति के सामने पेश भी हुए थे और अपना पक्ष रखा था।
यूपी की कैसरगंज लोकसभा सीट से भाजपा सांसद के वकील ने एक और दलील दी। उनके वकील राजीव मोहन ने कहा कि छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न में अंतर होता है। यौन उत्पीड़न के मामलों में तीन साल की एक समयसीमा होती है। फिर बाद में शिकायतकर्ताओं ने छेड़छाड़ के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि 21 अप्रैल से पहले बृजभूषण शरण सिंह पर छेड़छाड़ का तो कोई मामला ही नहीं था। वहीं छह महिला पहलवानों का पक्ष रख रहीं वकील रेबेका जॉन ने कहा कि जांच समिति ने बृजभूषण शरण सिंह को क्लीन चिट नहीं दी थी। इसकी बजाय समिति की रिपोर्ट ऐसी थी कि दोनों पक्षों को खुश कर दिया जाए।
इसके जवाब में मोहन ने कहा कि ओवरसाइट कमेटी बनने के बाद भी बृजभूषण शरण सिंह पर केस दर्ज नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि उस कमेटी का मकसद छेड़छाड़ के किसी मामले की जांच करना नहीं था। ऐसी कोई बात उसमें उठी भी नहीं थी। ये मामले तो बाद में ही दर्ज कराए गए। उन्होंने बृजभूषण का पक्ष रखते हुए कहा कि महिला पहलवानों से छेड़छाड़ की बात हो रही है, लेकिन किसी की सांस चेक करना गलत तो नहीं है। इसे कैसे अपराध माना जा सकता है। इसके पीछे कोई सेक्शुअल इरादा ही नहीं था।
हालांकि महिला पहलवानों की वकील रेबेका जॉन ने इन तर्कों का प्रतिवाद किया। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है, जैसी कहानी आप बता रहे हैं। बृजभूषण शरण सिंह ने सांस चेक करने के बहाने महिला पहलवानों को गलत ढंग से छुआ था और इसके लिए बल प्रयोग भी किया था। यह किसी महिला से छेड़छाड़ का मामला बनता है। अदालत ने अब मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 अक्टूबर की तारीख तय की है।