मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री घोषित होने से पहले मोहन यादव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के स्थापना दिवस की 75वीं वर्षगांठ में शामिल होने नई दिल्ली गए थे। उसी वक्त अंदरखाने चर्चा होने लगी कि सीएम पद को लेकर बदलाव संभव है।दरअसल, मौजूदा वक्त में एबीवीपी ही भाजपा और आरएसएस नेताओं का ठोस आधार है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और यहां तक कि कांग्रेस शासित तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी की ABVP से जुड़े रहे हैं जो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की छात्र शाखा है। बीजेपी में उच्च पदों पर आसीन बहुत से नेता कभी एबीवीपी छात्र कार्यकर्ता हुआ करते थे जिनमें केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, जी किशन रेड्डी, गजेंद्र शेखावत, किरेन रिजिजू और वी मुरलीधरन शामिल हैं। इसी तरह, भाजपा के संगठन महासचिव सुनील बंसल, विनोद तावड़े और राष्ट्रीय सचिव आशा लाखरा व ओपी धनखड़ ने एबीवीपी से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ABVP का हिस्सा रहे हैं। हाल ही में नियुक्त तीन मुख्यमंत्री (राजस्थान में भजन लाल शर्मा, मध्य प्रदेश में मोहन यादव और छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय) की भी राजनीतिक शुरुआत एबीवीपी से हुई। शिवराज चौहान, जयराम ठाकुर, विजय रूपाणी और तीरथ सिंह रावत… ये भाजपा की ओर से नियुक्त वे पूर्व मुख्यमंत्री हैं जिनका एबीवीपी से नाता रहा है। बिहार के डिप्टी सीएम रहे सुशील मोदी एबीवीपी से आते हैं। एबीवीपी कार्यकर्ता संघ के भीतर भी खूब सक्रिय हैं। कार्यकारी प्रमुख दत्तात्रेय होसबले ने आरएसएस में उभरने से पहले छात्र संगठन में 30 साल बिताए हैं।
संघ से लेकर अकादमिक जगत में बोलबाला
RSS के प्रचार प्रभारी सुनील अंबेकर, विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार, संघ की ओर से आउटरीच के सह-प्रभारी रमेश अप्पाजी और कई दूसरी यूनिट्स के पदाधिकारी भी एबीवीपी से आते हैं। इन लोगों ने छात्र संगठन से ही अपना सार्वजनिक जीवन शुरू किया। इतना ही नहीं… जेपी नड्डा, धर्मेंद्र प्रधान, तावड़े, रूपाणी, जयराम समेत कई बीजेपी नेताओं की पत्नियां भी एबीवीपी से जुड़ी रहीं। यह जानना बड़ा दिलचस्प है कि इनमें से कई शादियां एबीवीपी में नियुक्त संघ के सीनियर कार्यकर्ताओं के सुझाव पर कराई गईं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, छात्र विंग के कार्यकर्ता खुद इस बात का खुलासा करते हैं। मालूम हो कि ABVP का असर केवल भाजपा और आरएसएस तक ही सीमित नहीं है, यह अकादमिक जगत में साफ नजर आता है। खास तौर से केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति को तैयार करने में एबीवीपी से जुड़े रहे एक्सपर्ट्स ने बड़ी भूमिका निभाई है।