समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के छोटे बेटे अब्दुल्ला आजम एक नहीं दो-दो बार विधायक चुने गए लेकिन दोनों बार उनकी विधायकी चली गई। अब्दुल्ला को सियासत रास नहीं आई।
दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में पिता आजम और मां तजीन फात्मा के साथ सात साल की सजा मिलने के बाद अब्दुल्ला आजम के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि करीब 33 साल के अब्दुल्ला के जिंदगी के बेशकीमती सात साल सलाखों के पीछे गुजरने के बाद उनकी आगे की राह क्या होगी? हालांकि समर्थकों को उम्मीद है कि आजम के वकील हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे और शायद इससे उन्हें कोई राहत मिल पाए। सवाल ये भी है कि आजम, उनकी पत्नी तजीन फात्मा और अब्दुल्ला के जेल जाने के बाद क्या परिवार की सियासी विरासत को संभालने के लिए कोई और आगे आएगा या नहीं?
अब्दुल्ला 2017 और 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। उन्होंने 2015 में उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी और गलगोटियास विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी की पढ़ाई पूरी की। स्वार विधानसभा सीट से पहली बार 2017 में चुनाव जीते अब्दुल्ला आजम को 16 दिसंबर 2019 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा चुनावी हलफनामे में विसंगति के कारण विधायक के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। दूसरी बार 2022 के विधानसभा चुनाव में जीते अब्दुल्ला की विधायकी 13 फरवरी 2023 को एक बार फिर चली गई। उस बार उनकी विधायकी जाने की वजह मुरादाबाद की कोर्ट से छजलैट प्रकरण में मिली दो साल की सजा थी। अब्दुल्ला की विधायकी जाने के बाद खाली हुई स्वार विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में आजम खान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी हालांकि उपचुनाव में इस सीट पर बीजेपी के सहयोगी अपना दल के प्रत्याशी शफीक अहमद अंसारी ने जीत हासिल कर ली। सपा ने इस सीट से अनुराधा चौहान को अंतिम समय में अपना उम्मीदवार बनाया था। आजम ने उनके पक्ष में पूरी ताकत झोंकी लेकिन अंतत: कामयाबी हाथ नहीं लगी।
दो जन्म प्रमाण पत्र का मामला क्या है
अब्दुल्ला आजम को बुधवार को दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में सात साल की सजा मिली है। इस मामले में बीजेपी नेता और रामपुर सदर सीट से वर्तमान विधायक आकाश सक्सेना ने 2019 में जालसाजी का केस दर्ज कराया था। आकाश सक्सेना ने आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला ने राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने की पात्रता सीमा तक अपनी आयु बढ़ाने के लिए दो जन्म प्रमाण पत्र बनवा लिए। आकाश की शिकायत के आधार पर रामपुर के डीएम ने जांच कराई। इसमें अब्दुल्ला को चुनाव लड़ने के लिए अपनी जन्मतिथि में फर्जीवाड़ा करने का दोषी पाया गया। जिला प्रशासन ने रिपोर्ट चुनाव आयोग को भेजी। मार्च 2019 में हाईकोर्ट ने पुलिस की जांच पूरी होने तक अब्दुल्ला, उनके पिता आजम खान और मां तज़ीन फात्मा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। हालांकि कानूनी प्रक्रिया चलती रही और अब तीनों को सात साल की सजा सुनाई गई है।
अब्दुल्ला की जेल यात्रा
अब्दुल्ला आजम इसके पहले 23 महीनों तक सीतापुर जेल में रह चुके हैं। 43 मामलों में अदालत से जमानत मिलने के बाद जनवरी 2022 में वह जेल से बाहर आ गए थे। अब्दुल्ला आजम 27 फरवरी 2020 से जेल में बंद थे। उन पर उनके पिता आजम खान के साथ चोरी से लेकर रंगदारी और जालसाजी तक के मामले दर्ज हैं। अब दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में सात साल की सजा सुनाए जाने के बाद अब्दुल्ला एक बार फिर जेल पहुंच गए हैं।
कौन संभालेगा विरासत
आजम, तजीन फात्मा और अब्दुल्ला को सजा होने के बाद अब समर्थकों की सबसे बड़ी चिंता यही है कि आजम परिवार की विरासत आगे कौन संभालेगा। समर्थकों को ऐसा लगने लगा है कि आने वाले कुछ सालों तक अब आजम, तंजीन या अब्दुल्ला में से कोई शायद ही चुनाव लड़ पाए। ऐसे में आजम परिवार की विरासत संभालने के लिए कोई आगे आएगा या नहीं? यह अभी तक तय नहीं है। हालांकि, आजम जब सीतापुर जेल में थे तो उनके बड़े बेटे अदीब की पत्नी सिदरा अदीब की चर्चा जरूर शुरू हुई। सिदरा सोशल मीडिया पर सक्रिय थीं लेकिन स्वार और रामपुर सीटों पर हुए उपचुनावों में आजम परिवार से कोई मैदान में नहीं उतरा और ये अटकलें वहीं थम गईं।