अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद जिस प्रकार श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है, उसके कारण अयोध्या धाम की यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। हाल यह है कि राम पथ पर पैदल यात्रियों को छोड़कर यातायात को प्रतिबंधित करना पुलिस प्रशासन के लिए लाजिमी हो गया है।इसके कारण श्रद्धालुओं ही नहीं स्थानीय नागरिकों के समक्ष भी संकट खड़ा हो गया है। इसके चलते जिला प्रशासन दर्शनार्थियों को भक्ति पथ से जन्मभूमि पथ पर भेजने पर मंथन कर रहा है। इस बारे आला अफसरों ने हनुमानगढ़ी अखाड़ा के पंचों के साथ भी बैठक कर गहन विचार विमर्श किया।इस दौरान हनुमानगढ़ी से जन्मभूमि पथ की ओर जाने वाले तीन रास्तों का चौड़ीकरण व सौन्दर्यीकरण पर भी सार्थक चर्चा की गयी। यह मार्ग हनुमानगढ़ी के निकास द्वार से सीधे रामजन्म भूमि जाने वाला मार्ग व दो रास्ते इमिलिया बाग होकर जन्मभूमि पथ पर जाने वाला मार्ग प्रमुख हैं। जिला प्रशासन की ओर से इन मार्गों को भी 15- 15 मीटर चौड़ा करने का प्रस्ताव है। इसके कारण एक बार फिर से साधुओं के आश्रम को भी हटाया तय है। इन्हीं बिल्डिंग को हटाने और एवज में यथोचित मुआवजा दिए जाने पर भी विचार किया गया। फिलहाल अभी बातचीत अंतिम रूप से नहीं हुई है।
राम नवमी के पहले योजना को अमल में लाने की तैयारी:
हनुमानगढ़ी के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन के अधिकारियों की मंशा है कि रामलला के दर्शनार्थी भक्ति पथ से होते हुए जन्मभूमि पथ तक जाएं और दर्शन के बाद राम पथ से पैदल वापस लौटें। इसके कारण राम पथ पर यातायात सुगमता के साथ संचालित हो सकेगा। बताया गया कि प्रशासन की यह भी मंशा है कि सेंट्रल बैंक तिराहे के पास जूता-चप्पल स्टैंड की भी व्यवस्था की जाए जिससे रामलला का दर्शन करने जाते समय दर्शनार्थी यहां अपने जूते- चप्पल को सुरक्षित रख सकें और राम पथ से वापसी के दौरान उन्हें वापस प्राप्त कर लें। फिलहाल इस योजना को राम नवमी के पहले अमल में लाने की तैयारी है।