आजम खान की सीट रामपुर में सपा में बड़ी बगावत हो गई है। रामपुर में सपा की जिला ईकाई ने लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। रामपुर में पहले चरण में वोटिंग होनी है। बुधवार को नामांकन का अंतिम दिन है।अभी तक सपा ने यहां से किसी प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है। इस बीच मंगलवार की दोपहर रामपुर में सपा के जिलाध्यक्ष अजय सागर ने जिले में लोकसभा चुनाव के बहिष्कार की घोषणा करके सभी को चौंका दिया। उन्होंने दावा कि सपा के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद आजम खान की मनमर्जी के मुताबिक प्रत्याशी का ऐलान नहीं किए जाने से रामपुर में सपा ने लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का फैसला लिया है। सपाइयों के इस ऐलान के बाद से सोशल मीडिया पर तरह-तरह की चर्चाओं का बाजार गर्माया हुआ है।उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी की जिला इकाई ने पहले विचार विमर्श किया और फिर रामपुर में लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का फैसला लिया है। शाम पांच बजे जिला अध्यक्ष अजय सागर, पूर्व प्रत्याशी आसिम राजा, विधायक नासिर खां आदि नेताओं ने मीडिया से बात की और चुनाव बहिष्कार का ऐलान कर दिया। जिलाध्यक्ष ने मीडिया को बताया कि आजम खान के निर्देश पर जिला इकाई रामपुर लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर रही है। कहा कि रामपुर के टिकट पर अब तक कोई कोई फैसला न होने के कारण आजम ने यह कदम उठाया है। जिलाध्यक्ष ने कहा कि सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद तय करें कि रामपुर से कौन चुनाव लड़ेगा।मालूम हो कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी आजम खान ने बहिष्कार की घोषणा की थी लेकिन बाद में खुद चुनाव लड़े थे। इस बार उन्होंने अखिलेश यादव से रामपुर से चुनाव लड़ने को अनुरोध किया है, लेकिन इस फैसले में देरी होने से आजम खान खिन्न बताए जा रहे हैं। इस बीच अखिलेश यादव के भतीजे और लालू यादव के दामाद तेज प्रताप यादव के उतरने की चर्चा ने जोर पकड़ा तो सोशल मीडिया में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। रामपुर की समाजवादी पार्टी के कई नेताओं ने ही इसका विरोध शुरू कर दिया था।
आजम खान की तरफ से पत्र जारी
इस दौरान आजम खान की तरफ से एक पत्र जारी किया गया। इसमें लिखा था कि लोकसभा के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। पहले चरण में ही रामपुर का चुनाव है। सबकी निगाहे प्रत्याशी की घोषणा पर लगी हुई है। हम भी पिछले 40-50 वर्षों से चुनाव प्रकिया के भागीदार रहे है लेकिन हमारे सामने केवल चुनाव कभी नही रहा बल्कि हमेशा गरीबो, मजदूरों, युवाओं तथा विशेषकर आने वाली नस्लो का भविष्य हमारी सियासत और जिन्दगी का मकसद रहा है। पूरा जीवन इसी मकसद को हासिल करने में हमने लगाया है। आज उसी की सज़ा हमको मिल रही है।
पार्टी के साथी और हमारा पूरा परिवार जेल की कोठरियों मे जिन्दगी के दिन काट रहा है। पिछले कुछ समय में रामपुर को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गयी। हजारों बेगुनाह लोगो पर झूठे मुकदमे लगाये गये और जेलों में डाला गया। पुलिस ने रामपुर को जी भरकर लूटा तथा महिलाओं को अपमानित करने का अपना शौक भी पूरा किया। रामपुर की आम जनता के साथ घोर अन्याय किया गया। पिछले दो उपचुनावों में जो कुछ हुआ उसे पूरी दुनिया अच्छी तरह जानती है।
रामपुर की ऐसी विशेष परिस्थितियों के कारण लोकसभा के वर्तमान चुनाव में हमने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से रामपुर से चुनाव लड़ने का आग्रह किया था। हमारा विचार था कि इन हालात में अखिलेश का रामपुर से चुनाव लड़ना आवश्यक है। हम समझते है कि कन्नौज, आज़मगढ़, बदायू, मैनपुरी, एटा, फिरोजाबाद महत्वपूर्ण सीटें हैं। इनका जीतना जरूरी है। इन सबके बाद रामपुर आता है रामपुर कौन जीतेगा?
रामपुर के समाजवादी नेताओं, कार्यकर्ताओं को घोर अत्याचार करके कुचला गया। फर्जी मुकदमे लगाये गए। जेल भेजा गया और अब भी यह अत्याचार जारी है। हमने सोचा था कि रामपुर के इस माहौल को बदलने तथा गरीब जनता, पीड़ित कार्यकर्ताओं पर हो रहे अत्याचार के माहौल में राष्ट्रीय अध्यक्ष का रामपुर आना जरूरी है। पिछले दो उपचुनाव में जो कुछ हुआ उसे कौन भूल सकता है।
हम जीवन भर झोली फैलाकर, नवाबों और बाहुबलियों से लड़कर ही यहां तक पहुंचे है। आज जो कुछ हमारे साथ हो रहा है वो भी रामपुर के तमाम लोग और पूरी दुनिया देख रही है। रामपुर वालो को दिए गए जख्मों और घावों की जलन और तड़प कम करने के लिए ही हमने अखिलेश यादव को रामपुर से चुनाव लड़ने के लिए आमन्त्रित किया था।
हमने बहुत चुनाव लड़े, जीते भी और कभी हार भी देखी लेकिन हौसला कभी नही हारा। परन्तु जब चुनाव, चुनाव ही न रहे तो कुछ सोचना ही पड़ता है। एक ही जिले और मण्डल में एक ही अधिकारी चुनाव आयोग के नियमों के विरूद्ध काम कर रहा है। उदेश्य केवल और केवल चुनाव हराना ही है तो परिस्थितियों को खूब समझा जा सकता है। ऐसे माहौल और हालात में हम वर्तमान चुनाव का बायकाट (बहिष्कार) करते हैं। रामपुर के वर्तमान चुनाव के बारे में अब राष्ट्रीय अध्यक्ष ही निर्णय लेंगे।