समाजवादी पार्टी की सरकार क्या गई पूर्व मंत्री आजम खान का पूरी तरह से रसूख ही खत्म हो गया। आजम खान वो शख्सियत है जिसका रामपुर ही नहीं पूरे प्रदेश में जलवा हुआ करता था। आजम का रुतबा इतना था कि उनकी भैंस खोजने के लिए भी पूरी पुलिस फोर्स जुट जाती थी, लेकिन 2017 में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद उनके इस रसूख को ग्रहण लग गया और मुकदमे पर मुकदमे होते चले गए।
आजम खान, उनकी पत्नी और बेटा यानी सियासत में यह बड़ा घराना हुआ करता था लेकिन, वक्त ने करवट ली तो सब तहस-नहस हो गया। आज आजम धोखाधड़ी के केस में सीतापुर जेल में हैं, बेटा अब्दुल्ला हरदोई की जेल में है और पत्नी तजीन फात्मा रामपुर के कारागार में सजा काट रही हैं। अकेले आजम खान के ऊपर करीब 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। अब तक पांच मामलों में आजम खान को सजा हो चुकी है। हालांकि, दो केस में वह बरी भी हो चुके हैं।
2023 में आजम खान को दो मामलों में सजा हो चुकी है। इसमें उनकी पत्नी तंजीन और बेटा अब्दुल्ला आजम भी शामिल हैं। अभी पुराने मामलों में सुनाई की सजा आजम खान पूरी भी नहीं कर पाए थे कि सोमवार को कोर्ट ने डूंगरपुर मामले में सात साल की सजा सुना दी। साथ ही पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने एक दिन पहले ही आजम समेत चार लोगों को दोषी करार दिया था। उन पर घर में घुसकर मारपीट, तोड़फोड़, गाली गलौज और जान से मारने की धमकी के मामले में दोष सिद्ध हुआ था। इससे पहले कोर्ट आजम को फर्जी प्रमाण पत्र के मामले में सजा सुना चुका है।
किन-किन मामलों में जेल गए आजम
अपने बेटे अब्दुल्ला आजम खां के दो जन्म प्रमाण पत्र के मामले में कोर्ट ने 18 अक्तूबर को सात साल की कैद व पचास हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई थी। तब से वह सीतापुर जेल में बंद हैं, जबकि मिलक थाने में दर्ज नफरती भाषण के मामले में निचली अदालत ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी। हालांकि सेशन कोर्ट ने उन्हें इस मामले में बरी कर दिया था। इस केस की अपील हाईकोर्ट में लंबित हैं। शहजादनगर थाने में दर्ज नफरती भाषण के एक अन्य मामले में सपा नेता आजम खां की सजा को बरकरार करते हुए 23 जनवरी को उनकी अपील खारिज कर दी थी। इसके अलावा मुरादाबाद के चर्चित छजलैट प्रकरण में वहां की कोर्ट ने सड़क जाम करने, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने के मामले में भी आजम खां के साथ ही अब्दुल्ला आजम को भी सजा सुनाई थी। इस तरह अब तक आजम खां को पांच मामलों में सजा हो चुकी है, जबकि दो मामलों में वह बरी भी हो चुके हैं। हालांकि पूर्व पालिकाध्यक्ष अजहर अहमद खां और रिटायर्ड सीओ आले हसन पहली दफा किसी मामले में न सिर्फ दोषी ठहराए गए हैं। बल्कि, अदालत ने उन्हें सजा भी सुना दी है।
सपा सरकार में आजम ने रियासकालीन गेट को किया था ध्वस्त
रामपुर में 1774 से 1949 तक नवाबों की हुकूमत रही। इस दौरान शहर की प्रमुख दोनों सड़कों को राहे रजा और राहे मुर्तजा यानी नवाब रजा अली खां और नवाब मुर्तजा अली खां के नाम से जाना जाता था लेकिन, 2012 में जब सूबे में सपा की सरकार आई और आजम खान नगर विकास मंत्री बने तो उन्होंने सबसे पहला काम यही किया कि रियासतकालीन गेट ध्वस्त कराकर उनके नाम बदलवाए। चौराहों, सड़कों के नाम बदलवाए। राहे रजा और राहे मुर्तजा का नाम बदलकर जौहर रोड और शौकत रोड रखवाया। स्टार चौराहे वाली सड़क को बी अम्मा के नाम से नामकरण किया गया। अब जब आजम का रसूख खत्म हुआ तो रामपुर ने फिर नई इबारत लिखना शुरू कर दी है। शहर विधायक आकाश सक्सेना ने कई सड़कों-चौराहों के नाम बदलवा दिए।
पिछले साल जुलाई में आजम को हुई थी दो साल की सजा
पिछले साल जुलाई में हेट स्पीच देने के मामले में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां दोषी करार दे दिए गए थे। एमपी-एमलए ट्रायल कोर्ट ने उन्हें दो साल की सजा सुनाई है। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान आजम खां रामपुर संसदीय सीट से सपा-बसपा गठबंधन के प्रत्याशी थे। चुनाव प्रचार के दौरान आजम खां का एक जनसभा में नफरती भाषण देने का वीडियो वायरल हुआ था। उसके बाद एडीओ पंचायत अनिल चौहान ने थाना शहजाद नगर में आजम खां के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप है कि उन्होंने संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों और अधिकारियों के प्रति आपत्तिजनक और भड़काऊ भाषण दिया था। इस मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट मजिस्ट्रेट ट्रायल में चल चल रहा था। दोनो पक्षों की गवाही और बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने आजम को दोषी करार दे दिया था। इसके बाद आजम को दो साल की सजा सुनाई गई थी।
दिसंबर 2023 में भी आजम को हुई थी सात साल की सजा
फर्जी प्रमाण पत्र मामले में आजम, पत्नी तंजीन और उनके बेटे को पिछले साल दिसंबर में कोर्ट ने सात साल की सजा सुनाई थी। दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में लोअर कोर्ट ने आजम खान, उनकी पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को दोषी पाया था। फिलहाल तीनों अलग-अलग जेलों में बंद हैं। लोअर कोर्ट से मिली सजा के खिलाफ तीनों की तरफ से सेशन कोर्ट में अपील की गई थी। इस पर बहस पहले ही पूरी हो चुकी थी। कोर्ट ने अपील पर फैसला सुनाते हुए तीनों की अपील खारिज कर दी थी। रामपुर की एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट शोभित बंसल ने 18 अक्तूबर को अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में आजम खां, उनकी पत्नी तजीन और बेटे अब्दुल्ला को दोषी करार देते हुए सात-सात साल की कैद की सजा सुनाई थी।
डूंगरपुर केस में आजम को सात साल की सजा
पांच साल डूंगरपुर केस में रामपुर कोर्ट ने आजम समेत चार लोगों को सात-सात की सजा सुनाई है। साथ ही पांच लराख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। बात 2019 की है। डूंगरपुर निवासी एहतशाम खां ने गंज कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि आजम खां, आले हसन, अजहर खां, ठेकेदार बरकत अली, फरहान खां, जिबरान और सपा नेता ओमेंद्र चौहान ने उसके घर में घुसकर मारपीट और लूटपाट की। साथ ही घर पर कब्जा कर लिया। केस की सुनवाई एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में चला। अदालत ने आजम खां, अजहर खां, आले हसन, बरकत अली को घर में घुसकर मारपीट, तोड़फोड़, गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी के आरोपी में दोषी करार दे दिया था।
आजम पर दर्ज हैं 104 से मुकदमे
आजम खान पर रिकार्ड 104 मुकदमें दर्ज हैं। प्रशासन ने उन्हें भू-माफिया भी घोषित कर रखा है। उनके खिलाफ नदी, चकरोड, सरकारी जमीनों से लेकर किसानों की जमीनों पर भी अवैध तरीके से कब्जा करने के आरोप हैं। डकैती की साजिश रचने से लेकर शत्रु संपत्ति कब्जाने तक में आजम खां फंस चुके हैं। सपा सरकार में यूपी के सबसे कद्दावर नेता माने जाने वाले मोहम्मद आजम खां योगी सरकार आने के बाद से मुसीबत में पड़ गए हैं। पूर्व विधायक स्वार एवं छोटे बेटे अब्दुल्ला आजम के डबल पैनकार्ड बनवाने में सहयोग का आरोप हो या फिर जौहर विश्वविद्यालय में करोड़ों का सेस बकाया का मामला। जौहर विवि के गेस्ट हाउस का प्रकरण हो या चकरोड कब्जाने का आरोप, एक के बाद एक उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज होते रहे। स्थिति यह है कि थानों से लेकर स्थानीय कोर्ट, हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक उनके मामले चल रहे हैं।
लोस चुनाव में हर दिन हुए मुकदमे
लोकसभा चुनाव के दौरान आजम खां ने हर दिन विवादित बयान दिया। प्रशासन से लेकर शासन तक निशाना साधा। अमर्यादित बयानबाजी के लिए उनके खिलाफ कमोबेश हर दिन मुकदमे होते रहे। भड़काऊ भाषण में ही कुल 14 मुकदमें हुए, जिनमें चार्जशीट लगाई गई। इनमें सबसे ज्यादा सुर्खियों में पूर्व सांसद जयाप्रदा और तत्कालीन डीएम आन्जनेय कुमार सिंह पर विवादित बयान रहा। आयोग को आजम खां की सभाओं पर रोक लगाना प़ड़ा था।
जमीनों पर कब्जे के सर्वाधिक मुकदमे
आजम खां पर सबसे अधिक मुकदमे किसानों की जमीनें कब्जाने के आरोप में दर्ज हुए। अजीमनगर थाने में उनके खिलाफ 29 मामले दर्ज किए गए। जबकि, शत्रु संपत्ति कब्जाने, सरकारी पेड़ कटवाने, नदी की रेतीली जमीन कब्जाने के आरोप में भी मुकदमें दर्ज किए गए। इसके साथ ही यतीमखाना प्रकरण में आजम पर 11 मुकदमें दर्ज हुए हैं। इन सभी में उन पर डकैती डलवाने, भैंस, गाय, बछड़ा, बकरियां जबरन खुलवाने के आरोप लगे हैं।
आजम और उनके परिवार पर दर्ज चर्चित मामले
- 14 मुकदमे चुनाव के दौरान भड़काऊ बयानबाजी के दर्ज।
- 1 सेना पर विवादित बयान देने में सिविल लाइंस में मुकदमा दर्ज।
- 2 मुकदमे चुनाव जीतने के बाद जयाप्रदा पर अमर्यादित बयानबाजी के आरोप में दर्ज।
- 29 मुकदमे अजीमनगर थाने में दर्ज, जौहर विवि के लिए किसानों की जमीन कब्जाने का आरोप।
- 1 मुकदमा कस्टोडियन की जमीन कब्जाने के आरोप दर्ज।
- 2 मुकदमा कोसी की सरकारी जमीन कब्जाने, पेड़ काटने का दर्ज।
- 11 मुकदमे यतीमखाना प्रकरण को लेकर दर्ज, भैंस से लेकर बकरी खुलवाने तक का आरोप।
- 4 मामले चकरोडों पर अवैध रूप से कब्जा करने के दर्ज, भू माफिया घोषित।
- 2 मुकदमे मारपीट, धमकाने, अवैध कब्जे के प्रयास में दर्ज, वारंट हो चुके हैं।
- 4 मुकदमे गंज और कोतवाली में धमकाने के आरोप में दर्ज।
इमरजेंसी के विरोध से राजनीति, रामपुर से दस बार विधायक रहे आजम
आजम खान रामपुर विधानसभा सीट से 10 बार विधायक और कई बार मंत्री बने। लोकसभा के सांसद भी बने थे। कांग्रेस राज में आपातकाल के विरोध में तमाम छोटे-बड़े नेताओं में आजम खान भी जेल में रहे। आजम खान के रामपुर की राजनीति की कहानी 1974 से शुरू होती है, जब वे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र संघ के महासचिव चुने गए थे। उसी समय आपातकाल लगा और उनके कांग्रेस विरोधी रवैये के कारण उन्हें भी जेल भेज दिया गया।