बिहार में जातीय गणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद से यूपी में भी गणना की मांग तेज हो गई है। अभी तक विपक्षी दल ही खुलकर यूपी में जातीय गणना की मांग कर रहे थे, अब एनडीए में शामिल निषाद पार्टी ने भी इसकी मांग कर दी है।
यह मांग किसी और ने नहीं योगी सरकार में शामिल कैबिनेट मंत्री और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने की है।
लखनऊ के विक्रमादित्य मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर प्रेसवार्ता में संजय निषाद ने कहा कि उनकी पार्टी शुरू से ही जातीय गणना की पक्षधर है। मछुआ समाज के साथ हुई जातीय विसंगतियों को दूर करते हुए जातीय गणना कराई जानी चाहिए। उन्होंने प्रदेश सरकार से अनुरोध किया है कि यूपी में भी जातीय जनगणना हो जिससे सभी जातियों की सही आबादी स्पष्ट हो सके।
कहा कि सेंसस मैनुअल-1961 के आधार पर उत्तर प्रदेश में जातीय जनगणना होनी चाहिए, जिसके तहत मछुआ समाज की सभी उपजातियां को अनुसूचित में गणना की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व की सपा व बसपा की सरकारों ने मछुआ समाज के साथ विश्वासघात किया है। सेंसस मैनुअल के मुताबिक मछुआ समाज अनुसूचित जाति में अंकित है, लेकिन इन सरकारों ने मझवार की सभी उपजातियों को पिछड़े और अनुसूचित में उलझाने का काम किया। जातीय जनगणना से पहले जातियों की विसंगतियों को दूर किया जाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि पार्टी की तीन दिवसीय शिक्षण व प्रशिक्षण शिविर में प्रदेश व जिला कमेटियों ने तय किया है कि पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में भी अपने सिंबल पर चुनाव लड़ेगी। भाजपा बड़े भाई की भूमिका में रही है, विधानसभा चुनाव की तर्ज पर लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को सम्मानजनक सीटें देगी।
इससे पहले एनडीए की सहयोगी अपना दल एस की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी जातीय गणना का समर्थन कर चुकी हैं। अनुप्रिया ने भी कहा कि उनकी पार्टी हमेशा से चाहती रही है कि जातीय गणना की जाए। एनडीए के एक अन्य सहयोगी सुभासपा ने भी जातीय गणना का समर्थन किया है। सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर ने साफ कहा कि उनकी पार्टी बहुत पहले से जातीय गणना की मांग करती रही है।