आज के समय में शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या काफी देखी जा रही है. कम उम्र में ही लोगों के शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ रहा है. इससे हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक तक का खतरा रहता है.
कई लोग कोलेस्ट्रॉल की जांच के लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराते हैं. जिसमें शरीर में एक दो नहीं बल्कि चार तरीके के कोलेस्ट्रॉल के बारे में पता चलता है. लेकिन अधिकतर लोगों को यह जानकारी नहीं होती है. लोगों को लगता है कि शरीर में केवल गुड और बैड कोलेस्ट्रॉल ही होते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है.
डॉक्टरों के मुताबिक, कोलेस्ट्रॉल की मदद से हमारा शरीर सेल्स का निर्माण करता है. बॉडी के फंक्शन के लिए कोलेस्ट्रॉल का बनना बहुत जरूरी है. इंसान के शरीर में कुल 4 तरीके का कोलेस्ट्रॉल होता है. आइए इस बारे में दिल्ली के राजीव गांधी सुपरस्पेशयलिटी हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजी विभाग में डॉ. अजित जैन से जानते हैं.
एलडीएल
एलडीएल यानी कि लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन जिसे हम बैड कोलेस्ट्रॉल के नाम से जानते हैं, इसका कम होना जरूरी है क्योंकि अगर ये बढ़ता है तो इससे हार्ट की आर्टरीज के ब्लॉकेज का रिस्क रहता है. कई मामलों में एलडीएल के बढ़ने से हार्ट अटैक का भी रिस्क रहता है.
एचडीएल कोलेस्ट्रॉल
एचडीएल को हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन यानी की गुड कोलेस्ट्रॉल कहते हैं. इसे हार्ट फ्रेंडली माना जाता है. ये कोलेस्ट्रॉल अगर बढ़ता भी है तो इससे हार्ट को खतरा नहीं रहता है, लेकिन अगर एचडीएल का लेवल 40 mg/dL से नीचे चला जाता है तो इससे हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है.
वीएलडीएल कोलेस्ट्रॉल
शरीर में तीसरे तरीके के कोलेस्ट्रॉल को वैरी लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन यानी की वीएलडीएल कहते हैं. यह कोलेस्ट्रॉल भी लिवर में बनता है, लेकिन जब ये शरीर की ब्लड सर्कुलेशन में जाता है तो ये एलडीएल यानी की बैड कोलेस्ट्रॉल में बदल जाता है. ऐसे में अगर शरीर में वीएलडीएल का लेवल बढ़ता है तो यह अच्छा संकेत नहीं है. इस स्थिति में आपको डॉक्टरों से सलाह लेनी चाहिए.
लिपोप्रोटीन
शरीर में लिपोप्रोटीन चौथे प्रकार का कोलेस्ट्रॉल होता है. ये 50 mg/dL के आसपास होना चाहिए. अगर ये कम या ज्यादा होता है तो इससे दिल की बीमारियों का खतरा रहता है.
क्या चारों तरह के कोलेस्ट्रॉल पर ध्यान देना चाहिए
डॉ जैन बताते हैं कि लिपिड प्रोफाइल टेस्ट में आपको कुल कोलेस्ट्रॉल का लेवल पहले देखना चाहिए. ये 200 mg/dL से ज्यादा नहीं होना चाहिए. अगर ये इससे अधिक होता है तो हार्ट डिजीज का रिस्क बढ़ जाता है. कुल कोलेस्ट्रॉल के अलावा आपको शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को भी देखना चाहिए. बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल 100 mg/dL से कम ही होना चाहिए.