संयुक्त राष्ट्र (UN) ने एक बार फिर से इजरायल पर निशाना साधते हुए कहा है कि गाजा पट्टी में इस समय कोई भी इलाका सुरक्षित नहीं है। इजरायल अब गाजा में जमीनी हमलों को भी अंजाम दे रहा है।इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी जारी की कि गाजा में “कोई भी सुरक्षित नहीं है”। फिलिस्तानी इलाके में काम कर रहीं संयुक्त राष्ट्र मानवतावादी समन्वयक लिन हेस्टिंग्स ने एक बयान में कहा कि लोगों के पास असंभव विकल्पों के अलावा कुछ नहीं बचा है। गाजा में कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। इजरायल ने उत्तरी गाजा में लोगों से दक्षिण की ओर जाने का आग्रह किया है, लेकिन यह भी कहा है कि जहां भी आतंकवादी या उनके ठिकाने गए उन्हें निशाना बनाया जाएगा।
“उनके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है”
गाजा को लेकर संयुक्त राष्ट्र की अधिकारी का बयान ऐसे समय में आया है जब इजरायली सैनिकों और टैंकों ने बृहस्पतिवार को उत्तरी गाजा में कुछ घंटों तक जमीनी हमला किया। सेना ने बताया कि दो सप्ताह से अधिक समय के विनाशकारी हवाई हमलों के बाद संभावित जमीनी आक्रमण के मद्देनजर ”युद्धक्षेत्र तैयार” करने के लिए कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। यह हमला ऐसे वक्त किया गया है जब संयुक्त राष्ट्र ने आगाह किया है कि गाजा पट्टी में ईंधन खत्म होने की कगार पर है जिससे उसे क्षेत्र में राहत प्रयास को रोकने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
फिलिस्तीनी एरिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के समन्वयक हेस्टिंग्स ने कहा कि इजरायली चेतावनियां बेकार हैं। उन्होंने कहा, “बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपनी जगह खाली नहीं कर सकते क्योंकि उनके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है या वे जाने में असमर्थ हैं। ऐसे में (इजरायल की ओर से) एडवांस में दी जाने वाली चेतावनियों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। लोग असंभव विकल्प चुनने पर मजबूर हैं।”
“असंभव विकल्पों के अलावा कुछ नहीं बचा”
हेस्टिंग्स ने कहा, “जब निकासी मार्गों पर बमबारी की जा रही हो, जब उत्तर और साथ ही दक्षिण के लोग बमबारी में फंसे हों, जब जीवित रहने के लिए आवश्यक चीजों की कमी हो, और जब वापसी के लिए कोई आश्वासन न हो, तो लोगों के पास असंभव विकल्पों के अलावा कुछ नहीं बचता है। गाजा में कहीं भी सुरक्षित नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, “कहीं भी सशस्त्र संघर्ष होता है तो वह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून द्वारा नियंत्रित होता है। इसका मतलब यह है कि नागरिकों की रक्षा की जानी चाहिए और वे जहां भी हों और चाहे वे कहीं भी जाएं या रहें, जीवित रहने के लिए उनके पास आवश्यक चीजें होनी चाहिए। इसका मतलब यह भी है कि बंधकों – सभी बंधकों – को तुरंत और बिना शर्त रिहा किया जाना चाहिए।”
गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि इस क्षेत्र पर हमलों में 7,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं, इसके अलावा 18,000 से अधिक अन्य घायल हुए हैं। गाजा पर बमबारी के साथ, इजरायल ने क्षेत्र में भोजन, पानी, दवा और ईंधन पर पूरी तरह से घेराबंदी का भी आदेश दिया है।
अभी भी उत्तरी गाजा में हैं 3,50,000 फिलिस्तीन
फिलिस्तीन के चरमपंथी समूह हमास के खिलाफ हमले और तेज करने की इजराइल की चेतावनी के बावजूद उत्तरी गाजा में रह रहे फिलिस्तीन नागरिक अन्यत्र चले जाने के आदेश को नहीं मान रहे हैं। इजरायल के अनुमान के अनुसार, लगभग 3,50,000 फिलिस्तीन अभी भी उत्तरी गाजा में हैं। फिलिस्तीन सहायता कर्मी महमूद शलाबी, उन हजारों लोगों में से हैं जो गाजा पर इजरायली हमलों के बाद अब तक अपने आप को बचाने में कामयाब हुए हैं और उत्तरी गाजा में ही रह रहे हैं। शलाबी का कहना है कि वह अपना घर खाली नहीं करेंगे। इजरायल की चेतावनी के बाद दक्षिणी हिस्से की ओर चले गए लोगों में से भी कई अब उत्तरी हिस्से में लौट आये हैं। इजरायल का कहना है कि वह उत्तरी हिस्से में रहने वाले सभी लोगों को हमास का संभावित ”सहयोगी” मानता है।
घर को छोड़कर जाने का कोई मतलब नहीं- फिलिस्तीनी
शलाबी ने कहा कि दक्षिणी गाजा में भी लगातार बमबारी हो रही है ऐसे में बेत लाहिया में अपने घर को छोड़कर जाने का कोई मतलब नहीं है। वहीं, इजरायल लगातार उत्तरी गाजा के 10 लाख से अधिक निवासियों को दक्षिण के हिस्से में जाने के लिए कह रहा है। शलाबी और अन्य बचे लोगों ने कहा कि दक्षिण में भीड़भाड़ वाले आश्रयों और पानी तथा भोजन की कमी को देखते हुए उन्होंने यहीं रहने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि घर हो या गाजा में कहीं और जाएं, सभी जगह जान को जोखिम है। शलाबी ब्रिटेन की स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने वाली संस्था ”मेडिकल एड फॉर पैलेस्टीनियन्स” में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक इजरायल दक्षिणी गाजा पर हमले बंद नहीं करता, तब तक यहां से जाना उचित नहीं होगा। उन्होंने कहा, ”इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, मैं अपना घर छोड़ कर जाऊं और दक्षिणी गाजा में किसी आश्रय स्थल में मरूं।”