CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में मामलों के टलने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने साफ कर दिया है कि इसे ‘तारीख पर तारीख’ वाली कोर्ट नहीं बनने दे सकते।
उन्होंने कहा कि इससे अदालत की बेहतर होती मामले की फाइलिंग और लिस्टिंग की प्रक्रिया पर भी असर पड़ता है। उन्होंने बार से अपील की है कि मामलों को बहुत जरूरत पर पड़ने पर ही स्थगित किया जाए।
शुक्रवार को सीजेआई ने ऐसे मामलों की जानकारी साझा की, जिनके स्थगन की मांग की जा रही है। उन्होंने बताया कि दो महीनों में ही 3 हजार 688 मामलों में एडजर्नमेंट की मांग की गई है। जबकि, अधिकांश मामले तत्काल सुनवाई के लिए थे। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘हम इसे तारीख पर तारीख कोर्ट बनने नहीं दे सकते। इतने सारे मामले अगर स्थगन में रहेंगे, तो यह अदालत की छवि के लिए अच्छा नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘मैं अदालत में मामले दाखिल होने और पहली बार सुनवाई के लिए आने तक की प्रक्रिया की निगरानी कर रहा हूं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसमें कम से कम समय लगे। अगर हम इसकी तुलना मेरे पास मौजूद डेटा से करें, तो पता चलता है कि आज 178 स्थगन स्लिप दाखिल हुई हैं।’
उन्होंने बताया, ‘औसतन रोज 154 स्थगन होते हैं। बीते दो महीनों में कुल 3688 एडजर्नमेंट्स हैं। यह मामला दाखिल करने और सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की कोशिश को असफल करता है।’
सीजेआई ने कहा, ‘इस अवधि में एडजर्न किए गए मामलों की संख्या सूचीबद्ध मामलों से तीन गुना ज्यादा थी। मामलों की सुनवाई जल्द हो रही है, लेकिन उन्हीं मामलों में फिर स्थगन मांगा जा रहा है।’ सीजेआई ने कहा, ‘मैं बार के सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि जबतक बहुत ज्यादा जरूरी न हो, तब तक स्थगन न मांगे। यह कोर्ट तारीख पर तारीख वाली नहीं हो सकती।’