उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा हलाल प्रमाणित उत्पादों पर रोक के बाद प्रशासन ने कार्रवाई के लिए टीमों का गठन कर दिया है वहीं जमियत ने इसके विरोध में कोर्ट जाने का ऐलान किया है।जमीयत उलमा-ए-हिंद (महमूद मदनी) के हलाल ट्रस्ट के सीईओ मौलाना नियाज फारूकी ने 2010 से मान्यता प्राप्त होने का दावा करते हुए प्रतिबंध के खिलाफ न्यायालय जाने की बात कही है। हलाल ट्रस्ट के सीईओ मौलाना नियाज फारूकी एडवोकेट ने बताया कि एपीडा (भारतीय कृषि उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) और दुनियाभर में भारतीय दूतावासों के साथ निकटता से सहयोग करते हुए वैश्विक बाजारों में भारतीय हलाल प्रमाणित उत्पादों को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया गया है।
कहा कि उनके ट्रस्ट के हलाल प्रमाण पत्र विश्वभर में विभिन्न सरकारों और अधिकारियों द्वारा विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त हैं। इतना ही नही वह विश्व हलाल खाद्य परिषद के सदस्य भी हैं। वर्ष 2010 से जमीयत देश में निर्मित उत्पादों पर हलाल का प्रमाण पत्र जारी करती है जिसे विश्व में मान्यता प्राप्त है। सरकार की रोक के बाद जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट के सीईओ मौलाना नियाज अहमद फारूकी एडवोकेट ने कहा कि हलाल ट्रस्ट में प्रमाणन प्रक्रिया भारत में निर्यात के उद्देश्यों और घरेलू वितरण दोनों के लिए निर्माताओं की आवश्यकताओं के अनुसार है।
हलाल प्रमाणित उत्पादों को भारतीय कंपनियों के लिए ऐसा प्रमाणन प्राप्त करना अनिवार्य है। क्योंकि देश के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा भी निर्दिष्ट है। उन्होंने बताया कि इतना ही नहीं बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं को उन उत्पादों का उपयोग करने से बचाता है जिनमे प्रतिबंधित पशुओं की चर्बी और एल्कोहल प्रयुक्त किया गया हो। इसलिए यह प्रमाणन बाजार में आवश्यकता पर आधारित उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। हलाल प्रमाणीकरण हमारे देश को लाभ पहुंचाने वाली एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है।
मौलाना नियाज फारूकी ने कहा कि सभी हलाल प्रमाणन निकायों को एनएबीसीबी (भारतीय गुणवत्ता परिषद के तहत प्रमाणन निकायों के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड) द्वारा पंजीकृत होना आवश्यक है, जोकि जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट ने हासिल किया है। बता दें की देश से विदेशों में मांस निर्यात करने वाली कंपनी हलाल मांस के सर्टिफिकेट के आधार पर ही खाड़ी के देशों में मांस और अपने अन्य उत्पाद जिनमे कॉस्मेटिक और दवाइयों के उत्पाद का निर्यात करती है।
मुस्लिम ही नहीं दूसरे समुदाय के लोग भी देखते हैं हलाल सर्टिफिकेट
हलाल सर्टिफिकेट केवल हलाल मांसाहारी उत्पादों पर ही नहीं बल्कि विभिन्न उत्पादों पर जैसे एल्कोहल रहित, निर्मित या प्रतिबंधित पशुओं की चर्बी रहित उत्पाद के लिए लिया जाता है। जिससे किसी भी धर्म की भावनाएं आहत न हों। जैसे मांस एवं मांस निर्मित उत्पादों के निर्यात किए जाने को लेकर इसलिए किया जाता है कि यह उत्पाद किसी मृत पशु का नहीं है। वहीं दवाइयों और कॉस्मेटिक में किसी प्रतिबंधित पशु की चर्बी के प्रयोग न होने के लिए लिया जाता है। जिससे किसी भी उत्पाद से किसी भी धर्म के लोगों की भावनाएं आह्त न हो। वह अपनी भावनाओं के हिसाब से उक्त उत्पाद का इस्तेमाल कर सके।
किन उत्पादों पर नहीं दिया जाता हलाल सर्टिफिकेट
एल्कोहल, चर्बी से निर्मित उत्पाद और गौ मूत्र निर्मित किसी भी उत्पाद को हलाल सार्टिफिकेट नहीं दिया जाता। क्योंकि गौ मूत्र और एल्कोहल से निर्मित उत्पादों से जहां मुस्लिम भावनाएं आह्त होती हैं वहीं चर्बी युक्त उत्पादों से हिंदू समाज की भावनाएं आह्त होती है। इसलिए ऐसे किसी उत्पाद को हलाल सार्टिफिकेट नहीं दिया जाता। इसी सार्टिफिकेट के माध्यम से विदेशों का भारत निर्मित उत्पादों का निर्यात कर राजस्व की उगाही की जाती है।